दरअसल, संसद के हर सत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सत्ता व विपक्ष में भिडंत होती है। बिहार जैसे बड़े राज्य के विधानसभा चुनाव से पहले होने जा रहे मानसूत्र में यह भिडंत बड़ी ही दिलचस्प हो सकती है, क्योंकि इस बार मुद्दों की भरमार है। सत्ता पक्ष भाजपा जहां पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर कांग्रेस को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है। जबकि कांग्रेस पहलगाम आतंकी हमले के आरोपियों को अब तक नहीं पकडऩे के साथ विदेश नीति और बिहार में चुनाव आयोग के रवैये पर भाजपा को घेरने की रणनीति बना रही है।
विपक्ष की एकता बड़ी चुनौती
मानसून सत्र से पहले चुनाव आयोग की कार्यशैली को लेकर कांग्रेस, राजद, टीमएसी जैसे 9 दल एकसाथ आ चुके हैं। बड़ा सवाल यही है कि मानसून सत्र के दौरान भी विपक्ष एकजुट रह पाएगा या नहीं। आपातकाल एक ऐसा मुद्दा है, जिसके खिलाफ कई विपक्षी दल भी रहे हैं। भाजपा इस पर चर्चा करा कर विपक्षी एकता को तोडऩा चाहती है।
मंत्रालयों के प्रश्नों के दिन तय
लोकसभा सचिवालय ने सत्र के दौरान मंत्रालयों के प्रश्नों के दिन तय कर दिए हैं। सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को कॉरपोरेट अफेयर्स, कल्चर, शिक्षा, वित्त, पर्यावरण जैसे मंत्रालयों के प्रश्नों पर चर्चा होगी। इसके बाद कृषि, प्रधानमंत्री, परमाणु विभाग, अल्पसंख्यक, सिविल एविएशन, रोड ट्रांसपोर्ट समेत अन्य मंत्रालयों पर चर्चा होगी।