भारत ने बदला लिया और ऐसा लिया कि इतिहास में दर्ज हो गया। इस प्रतिशोध का नाम है ऑपरेशन सिंदूर। इस घटना को लेकर रायपुर के पूर्व सैनिकों की आंखों में पुरानी यादें लौट आईं। कोई कारगिल का मोर्चा याद कर रहा था, तो कोई सियाचिन की बर्फ पर जमे बूटों को।
Operation Sindoor: अब हम सिर्फ सहते नहीं, जवाब देते हैं
पूर्व सैनिकों आरके साहू और विजय डागा का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ बदले की कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की बदलती सैन्य नीति का प्रतीक है। अब हम सिर्फ सहते नहीं, जवाब देते हैं। पहले सिर्फ आतंकी मारे जाते थे, अब उनके आका भी निशाने पर हैं। डागा कहते हैं, सेना में हर
ऑपरेशन नाम से कहानी कहता है ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन मेघदूत… अब ऑपरेशन सिंदूर। यह नाम ही बता देता है कि किसकी लाज बचाई गई है और किसका अभिशाप बना है।
पांच साथी शहीद हुए थे, पर हमने जवाब दिया था
पूर्व सैनिक विजय डागा, जो कारगिल युद्ध के समय तुरतुक सेक्टर में तैनात थे, बताते हैं कि हम 5112 हिल पर बंकर में थे। मैं और एक साथी नीचे पानी लेने गए थे। पीछे बंकर में पांच साथी थे। पाकिस्तान की तरफ से तीन मोर्टार दागे गए, और हमारे सब साथी वीरगति को प्राप्त हुए। वो दृश्य आज भी आंखों में कैद है। उस दिन हमने सिर्फ एक वचन लिया, अब बदला जरूर लेंगे। डागा कहते हैं,
ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं है, यह हर सैनिक का प्रण है जो मां, बहन और पत्नी के माथे का सिंदूर मिटाएगा, उसे जमीन पर नहीं छोड़ा जाएगा।
जहाजों से घेर लिया था पाकिस्तान को
पूर्व नेवी मैन आरके साहू कहते हैं, मैंने खुद देखा है कि कैसे हमारी नौसेना अरब सागर में पाकिस्तान की सांसें रोक सकती है। इस बार ऑपरेशन सिंदूर में आईएनएस विक्रांत, आईएनएस सूरत और दर्जनों युद्धपोतों ने
पाकिस्तान के बंदरगाहों की घेराबंदी कर दी। अब उन्हें व्यापार से भी डर लग रहा है। साहू कहते हैं कि नेवी का सिद्धांत है दिखाओ कुछ और करो कुछ और। पाकिस्तान अभी कुछ समझ नहीं पा रहा, पर असर महसूस कर रहा है।