शहर में ही स्थित शासकीय दिग्विजय कॉलेज व कमला कॉलेज के सामने कई तरह की दुकानें संचालित हो रही हैं, जिसमें ज्यादातर खाद्य पदार्थ की दुकानें हैं और इसके अलावा पान-गुटखा के ठेले हैं। इन ठेला-खोमचों में आसानी से नशीले पदार्थों की भी बिक्री हो रही है।
Patrika Mahila Suraksha: गांव से आतीं हैं छात्राएं
इस पर भी रोक लगाने के लिए पुलिस प्रशासन और खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पास ठोस कार्ययोजना नहीं है। जबकि स्कूल कॉलेज के आसपास 500 मीटर के दायरे में तंबाकू सहित अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री प्रतिबंधित है।
जिले के सबसे बड़े दिग्विजय महाविद्यालय से लेकर अन्य किसी भी कॉलेज में ड्रेस कोड लागू नहीं है। कई बार ऐसा होता है कि कॉलेज में पढ़ाई नहीं करने वाले बाहरी युवक भी आसानी से घुस जाते हैं, जो कॉलेज परिसर में घूमते रहते हैं। कैंटीन में बैठकर गप्पे मारते मिल जाते हैं। ऐसे में निजी कॉलेजों की तरह शासकीय
महाविद्यालयों में ड्रेस कोड लागू होनी चाहिए। इस संबंध में छात्र युवा मंच द्वारा अभियान भी चलाया जा चुका है।
गांव से आतीं हैं बेटियां
राजनांदगांव के तीन बड़े शासकीय कॉलेजों में आसपास के गांव से भी युवतियों उच्च शिक्षा ग्रहण करने आती हैं। ये बेटियां ज्यादातर बसों में सफर कर आती हैं। इसे अलावा अपने वाहन से भी पहुंचती हैं। इन बेटियों को बस में सफर के दौरान से लेकर चौक-चौराहों और अपने संस्थाओं के आसपास उन्हें घूरती नजरों से परेशान होना पड़ता है। सीएसपी पुष्पेन्द्र नायक का कहना है कि पुलिस की रक्षा टीम दिन भर सक्रिय रहती है।