ऐसे हम इसलिए कह रहे हैं कि घरेलू हिंसा के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं, जो कि समाज के लिए चिंता का विषय है। इस तरह की हिंसा की शिकार महिलाएं वन स्टाप सखी सेंटर में भी पहुंच रही हैं। ऐसी कई महिलाएं हैं, जो रोजाना इस तरह की हिंसा का सामना कर रहीं लेकिन इस तरह के किसी संस्था या थाने में शिकायत करने से बच रहीं हैं।
Patrika Mahila Suraksha: घरेलू हिंसा के ज्यादातर केस पहुंच रहे
सोशल मीडिया भी जिम्मेदारी आज का समय दिखावे का है। लोगों के पास परिवार के लिए समय नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुद से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बातें अपडेट करने में पीछे नहीं रहते। इसमें
महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। कई घरों में फोन और सोशल मीडिया ही झगड़े के कारण बन रहे हैं।
महिलाओं के साथ होने वाले घरेलू हिंसा के लिए नशाखोरी व शादी के बाद भी एक्स्ट्रा अफेयर (अवैध संबध) प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा आज की दौड़ भाग भरी जिंदगी,
मोबाइल व सोशल मीडिया भी लोगों के पारिवारिक जीवन में जहर घोलने का काम कर रहा है। इसके चलते महिलाओं के साथ हिंसा लगातार बढ़ रही है। इस पर रोक लगाने के लिए सर्व धर्म समाज को सोचने की जरूरत है।
हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं
महिला उत्पीड़न व शोषण मामले की सुनवाई करने वाली संस्था सखी वन स्टाप सेंटर की प्रशासक गायत्री साहू ने बताया कि घरेलू हिंसा के तहत शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना के 27 प्रकार होते हैं। ऐसे महिला हिंसा के केस लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले साल जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक की ही बात की जाए तो सेंटर में
घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के कुल प्रकरण 216 आए हैं, जिसमें से 181 का निराकरण किया गया। 35 लंबित हैं। 51 केस में परामर्श किया जा रहा। इस दौरान 107 महिलाओं को सेंटर में आश्रय भी दिया गया। बताया कि घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं सखी वन स्टाप सेंटर से संपर्क करने के लिए टोल-फ्री नंबर 181 पर कॉल कर अपनी समस्या बता सकते हैं।
केन्द्र में अब तक आए हुए प्रकरण
सखी सेंटर का संचालन 2017 से किया जा रहा है। अब तक यहां 1365 मामले पहुंच चुके हैं। जिसमें 1292 केस को निराकृत किया गया। 73 मामले लंबित हैं। 492 को
काउंसिलिंग चल रहा। 169 को पुलिस सहायता, 74 को चिकित्सा सहायता और 262 को विधिक सहायता दी गई है। वहीं इस दौरान 535 को सेंटर में आश्रय भी दिया गया।