करीब दो साल से मामले की शिकायत की जा रही थी। शुरुआती दौर में विभाग ने ऐसे किसी भी भ्रष्टाचार से पल्ला झाड़ते हुए जांच करने से इनकार कर दिया था। सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने शिकायत पहले विभाग में की, फिर संभागायुक्त से जांच की मांग उठाई। बाद में 28 जून 2023 को ईओडब्ल्यू में शिकायत की। वहां लंबी जांच के बाद प्रकरण दर्ज किया गया। मामले में यह बात सामने आइ कि रीवा के जिला आबकारी कार्यालय और जिला सहकारी बैंक शाखा मोरबा की मिलीभगत से करोड़ों की हेराफेरी की गई है।
मोरबा शाखा से जिलों के लिए बनी बैंक गारंटी
शराब ठेकेदारों(MP liquor scam) से नियमों के अनुसार बैंक गारंटी ली जाती है। इसमें वर्ष 2023-24 में लाइसेंस जारी करने के लिए जिला सहकारी बैंक शाखा मोरबा (सिंगरौली) के तत्कालीन प्रभारी शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह ने 15 करोड़ 32 लाख 23 हजार 440 रुपए की 14 फर्जी बैंक गारंटी जारी की। इनमें से 9 बैंक गारंटी शराब ठेकेदारों को दी गईं, जिनका इस्तेमाल उन्होंने रीवा, सिंगरौली, उमरिया और सतना जिलों में शराब ठेकों के लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किया।मध्य प्रदेश शासन की आबकारी नीति के अनुसार, शराब ठेकों के लिए बैंक गारंटी किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसूचित व्यावसायिक बैंक या निजी क्षेत्र के बैंक से जारी की जा सकती थी। लेकिन, इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी बैंक गारंटी को स्वीकार किया गया।