2020 में मेडिकल कॉलेज में लगी थी 5 मशीनें
जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में चार वर्ष पहले 2020 में पांच डायलिसिस की मशीनें आई थी इन मशीनों को कैजुअल्टी के पास एक कमरे में स्थपित किया गया था। लगभग चार वर्षों से यह मशीने धूल खा रही थी। पांच महीने पहले मशीनों का संचालन शुरू किया था, लेकिन कुछ ही दिन चलने के बाद मशीनों में तकनीकी खराबी आने एवं टेक्नीशियन का तीन महीने का पेमेंट नहीं मिलने के कारण यूनिट को बंद करना पड़ गया। बीते करीब एक सप्ताह से फिर संचालन शुरू हुआ है। टेक्नीशियन का कहना है कि वर्तमान में 3 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है।जिला अस्पताल में बढ़ा लोड, वेटिंग मिल रही, रात में भी चला रहे यूनिट
जिला चिकित्सालय में इन दिनों डायलिसिस के लिए 67 मरीज आ रहे हैं। यहां 6 मशीन स्थापित हैं। एक मशीन में हर रोज 4 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। जिला अस्पताल में संभाग के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के सीमा क्षेत्र से भी मरीज आते हैं। यही कारण है कि यहां बीते तीन महीने पहले करीब 10 से 15 मरीजों को वेटिंग में रखा जाता था। इसके बाद मरीजों की परेशानियों को देखते हुए रात में भी डायलिसिस की सुविधा शुरू कर दी गई।मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थित हो तो 50 प्रतिशत दबाव होगा कम
मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस यूनिट का व्यवस्थित संचालन किए जाने से एक साथ करीब 9-10 मरीजों को सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही जिला चिकित्सालय में 50 प्रतिशत दबाव खत्म हो जाएगा। यूनिट इंचार्ज की माने तो एक मशीन में एक मरीज की डायलिसिस में करीब 4 घंटे का समय लगता है। 12 घंटे में तीन मरीजों की डायलिसिस हो पाती है। इसके अलावा अतिरिक्त के लिए रात में सुविधा दी जा रही है।इनका कहना
मेडिकल कॉलेज में 4-5 महीने पहले डायलिसिस यूनिट की शुुरुआत हुई है, बीच में मीशन में तकनीकी खराबी आने एवं टेक्नीशियन के काम छोडकऱ चले जाने से यूनिट को बंद कर दिया गया था। तीन मशीनों को चालू किया गया है, दो मशीनों को रिजर्व में रखा गया है।
डॉ. श्रीकांत चौरसिया, प्रभारी डायलिसिस यूनिट मेडिकल कॉलेज