जर्मनी में संघीय चुनाव 23 को, 2,82000 भारतीयों के साथ राजस्थानी कैसे अहम भूमिका निभाएंगे, जानिए
German federal elections 2025: जर्मनी 23 फरवरी को संघीय चुनाव हैं। इनमें ओवरसीज इंडियंस भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इन चुनावों की गहमागहमी देख कर भारतीय शादी याद आ जाती है।
German federal elections 2025 : जर्मनी में 2025 के 23 फरवरी को संघीय चुनाव हैं। इन चुनावों की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। जर्मनी में भारतवंशी समुदाय ( Indian origin community) राजनीति में अच्छा दखल रखता है। इन चुनावों को लेकर ओवरसीज इंडियंस में भी उत्साह नजर आ रहा है। प्रवासी भारतीय ( NRI News) सक्रिय हो गए हैं। जर्मनी के चुनाव में प्रवासी भारतीय भी अहम भूमिका निभाएंगे, जिनमें राजस्थानी भी शामिल हैं। ये चुनाव ( German federal elections 2025 ) यूरोपीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। जर्मनी के ये चुनाव न केवल जर्मनी की आंतरिक नीतियों को प्रभावित करेंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उनके परिणामों का असर पड़ेगा। ध्यान रहे कि जर्मनी के संघीय चुनाव हर चार साल में होते हैं, जिसमें जर्मनी के नागरिक अपने चांसलर और अन्य प्रमुख पदों के लिए वोट डालते हैं। जर्मनी में 282,000 तादाद वाला भारतीय समुदाय सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जर्मनी में प्रमुख राजनीतिक दल इस प्रकार हैं:
दक्षिणपंथी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU):
फ्रेडरिक मर्ज के नेतृत्व में, CDU केंद्र-दक्षिणपंथी पार्टी है, जो आर्थिक स्थिरता और पारंपरिक मूल्यों पर जोर देती है।
श्रमिक अधिकारों की समर्थक सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD):
ओलाफ शोल्ज के नेतृत्व में, SPD केंद्र-बाएं पार्टी है, जो सामाजिक कल्याण और श्रमिक अधिकारों की समर्थक है।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता की पक्षधर फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (FDP):
क्रिश्चियन लिंडनर के नेतृत्व में, FDP मुक्त बाजार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की पक्षधर है।
जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित पार्टी ग्रीन्स (Die Grünen):
एनालेना बेयरबॉक के नेतृत्व में, ग्रीन्स पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित पार्टी है।
प्रवासन विरोधी दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD):
फ्रांजिस्का गिफ़र्ट के नेतृत्व में, AfD दक्षिणपंथी पार्टी है, जो प्रवासन विरोधी और यूरोपीय संघ विरोधी विचारों के लिए जानी जाती है।
जर्मनी संघीय चुनाव के प्रमुख मुद्दे:
प्रवासन: प्रवासी-विरोधी भावनाओं में वृद्धि और अधिक कुशल प्रवासियों को आमंत्रित करने की इच्छा के बीच संतुलन।
जलवायु परिवर्तन: ऊर्जा संक्रमण, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विस्तार, और कार्बन उत्सर्जन में कमी। आर्थिक नीति: बजट घाटे, सार्वजनिक निवेश, और कर नीति पर बहस। सुरक्षा और रक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य क्षमता, और यूरोपीय संघ की रक्षा नीति पर चर्चा।
जर्मनी संघीय चुनाव के उम्मीदवार:
फ्रेडरिक मर्ज (CDU): संभावित चांसलर उम्मीदवार, जो आर्थिक स्थिरता और पारंपरिक मूल्यों पर जोर देते हैं। ओलाफ शोल्ज (SPD): वर्तमान चांसलर, जो सामाजिक कल्याण और श्रमिक अधिकारों के समर्थक हैं।
क्रिश्चियन लिंडनर (FDP): वित्त मंत्री, जो मुक्त बाजार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के पक्षधर हैं। एनालेना बेयरबॉक (ग्रीन्स): पर्यावरण मंत्री, जो जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित हैं। फ्रांजिस्का गिफ़र्ट (AfD):
दक्षिणपंथी पार्टी की नेता, जो प्रवासन विरोधी और यूरोपीय संघ विरोधी विचारों के लिए जानी जाती हैं। इन चुनावों के परिणाम जर्मनी की आंतरिक और बाहरी नीतियों, विशेषकर भारत-जर्मनी संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।
संघीय चुनाव जर्मनी की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मोड़
इस तरह 2025 के जर्मन संघीय चुनाव जर्मनी की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। इन चुनावों में विभिन्न मुद्दों पर गहरी बहस हो रही है, जिसमें प्रवासन, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख हैं। जर्मनी के नागरिक इन चुनावों के जरिए यह तय करेंगे कि भविष्य में कौन सा दल और नेता देश की बागडोर संभालेंगे।
प्रमुख दलों की रणनीतियाँ और संभावनाएँ
भारतवंशियों के अनुसार जर्मनी के आगामी 2025 संघीय चुनावों में भारतीय मूल के किसी प्रमुख उम्मीदवार का नाम सामने नहीं आया है, जो चांसलर पद के लिए दौड़ रहे हों। हालांकि, जर्मनी में भारतीय मूल के लोग राजनीति, समाज और व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं और कुछ ने स्थानीय या क्षेत्रीय चुनावों में भी अपनी पहचान बनाई है। भारतवंशीय नागरिकों की जर्मनी में बढ़ती भागीदारी के नजरिये से हम देख सकते हैं कि कुछ भारतीय मूल के लोग कई राजनीतिक दलों के समर्थक बनकर चुनावों में हिस्सा ले सकते हैं। हालांकि, 2025 के चुनाव में चांसलर पद के लिए कोई प्रमुख भारतीय मूल का उम्मीदवार फिलहाल नहीं है।
बहरहाल वर्तमान में जर्मनी में कुछ भारतीय मूल के स्थानीय नेताओं की पहचान हो रही है, जो विभिन्न चुनावों में भाग ले रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मूल के उम्मीदवार की संभावना के बारे में फिलहाल कोई बड़ा नाम नहीं है।
राजस्थान मूल के प्रवासी भारतीय राजस्थान एसोसिएशन जर्मनी के अध्यक्ष राणा हरगोविंदसिंह जर्मनी के चुनाव में सक्रिय हैं।
राजस्थान एसोसिएशन जर्मनी कोलोन में सीडीयू उम्मीदवार के समर्थन में
राजस्थान एसोसिएशन जर्मनी (Rajasthan Association)के अध्यक्ष राणा हरगोविंदसिंह ( Rana Hargovindsingh) ने सीधे जर्मनी से बताया कि भारतवंशी लोग चुनाव अभियानों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और उनकी एसोसिएशन कोलोन में सीडीयू उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक और आर्थिक पहलों से परे वे हमेशा जरूरत के समय समुदाय के साथ खड़े हैं और पासपोर्ट खोने के मामलों में सहायता, विदेश में मृत्यु के मामले, स्वदेश वापसी और आपातकालीन सहायता के मामलों में लोगों की मदद के लिए आवाज उठा रहे हैं।
राष्ट्रपति हेंड्रिक वुस्ट से मिले थे राणा
वे एनआरडब्ल्यू मंत्री राष्ट्रपति हेंड्रिक वुस्ट से मिले थे और उन्होंने बुंडेस्टाग (एमपी) के सदस्य सेराप गुलेर और सीडीयू कोलन अध्यक्ष टेरेसा डी बेलिस-ओलिंगर के साथ व्यापक चर्चा की थी। उनकी चर्चाएं भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए सहज एकीकरण, कुशल श्रमिकों के प्रवास और भारत-जर्मन व्यापार साझेदारी को मजबूत करने पर केंद्रित थीं। राणा ने राजस्थान फाउंडेशन के साथ मिल कर काम किया है और राइजिंग राजस्थान के लिए हाल ही में जर्मनी की यात्रा के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी का गर्मजोशी से स्वागत किया था।
राजस्थान से एक मजबूत राजनीतिक उपस्थिति
जर्मनी में राजस्थान से एक मजबूत राजनीतिक उपस्थिति होना खुशी की बात है, जिससे यह तय होगा कि भारतीय आवाज को प्रभावी ढंग से सुना और उसका प्रतिनिधित्व किया जा सके। राणा जर्मन नेशनल क्रिकेट फैडरेशन के आधिकारिक भागीदार भी हैं और उन्होंने वोट के अधिकार का प्रयोग करने और लोकतंत्र की जीत का जश्न मनाने के लिए पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाता जागरूकता के लिए भारत यात्रा भी की थी।
राणा हरगोविंदसिंह : एक नजर
राणा हरगोविंदसिंह राजस्थान एसोसिएशन जर्मनी के संस्थापक के रूप में विदेश यात्रा के समय इंडियन कम्युनिटी की मदद करते हैं। भारत के राजस्थान के हरगोविंद सिंह कम्युनिटी लीडर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं और अपने परिवार के साथ कोलोन, जर्मनी में रहते हैं। वे जर्मन मल्टीनेशनल कंपनियों में ग्लोबल प्रोसेस ओनर के पेशे से जुड़े हुए हैं।