यह रात न्यू डेमोक्रेट्स के लिए निराशाजनक
मंगलवार रात को बर्नबे में अपने कैंपेन मुख्यालय में समर्थकों को संबोधित करते हुए जगमीत सिंह ने अपनी हार स्वीकार की। उन्होंने अपने परिवार का आभार जताया और लिबरल नेता मार्क कार्नी को उनकी जीत पर बधाई दी। अपने भावुक भाषण में, आंसुओं को रोकते हुए सिंह ने कहा, “आप सभी ने इस चुनाव में अपना दिल और आत्मा झोंक दी। आप अद्भुत हैं। मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं।” वेस्टर्न स्टैंडर्ड के पत्रकार जेरीड जेगर द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में सिंह ने कहा, “यह रात न्यू डेमोक्रेट्स के लिए निराशाजनक है। हमारे कई अच्छे उम्मीदवार हार गए। मैं जानता हूं कि आपने कितनी मेहनत की थी। मुझे दुख है कि आप अपने समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएंगे, लेकिन मुझे यकीन है कि आप उनके लिए लड़ते रहेंगे।” जगमीत सिंह ने बर्नबे सेंट्रल सीट, जिसे वह 2019 से संभाल रहे थे, में तीसरा स्थान हासिल किया। यह सीट, जिसे पहले बर्नबे साउथ के नाम से जाना जाता था, इस चुनाव से पहले पुनर्वितरण के कारण प्रभावित हुई थी। सिंह ने पुष्टि की कि वह अंतरिम नेता के चयन के बाद नेतृत्व छोड़ देंगे, जिससे उनका सात साल का नेतृत्व, जो अक्टूबर 2017 में शुरू हुआ था, समाप्त हो जाएगा।
एनडीपी की करारी हार के पीछे क्या कारण?
एनडीपी को कनाडा के संघीय चुनावों में भारी झटका लगा, और कई लोग इस खराब प्रदर्शन का कारण जगमीत सिंह का पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अल्पमत सरकार के साथ गठजोड़ मानते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंह ने मार्च 2022 में ट्रूडो के साथ एक ‘सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस’ समझौता किया था, जिसे कई लोग उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाला मानते हैं। खासकर तब, जब जनवरी में ट्रूडो ने पद छोड़ दिया। इस समझौते ने सिंह और एनडीपी की विश्वसनीयता को प्रभावित किया, जिसका खामियाजा उन्हें इस चुनाव में भुगतना पड़ा। जगमीत सिंह का खालिस्तान समर्थन और भारत के खिलाफ उनकी बयानबाजी भी विवादों में रही। भारत ने कई बार कनाडा से खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, और सिंह का इस मुद्दे पर रुख भारत-कनाडा संबंधों में तनाव का कारण बना। कनाडा की जनता ने इस बार अपने वोट से सिंह को स्पष्ट संदेश दिया है कि उनकी नीतियां और गठजोड़ जनता के बीच स्वीकार्य नहीं हैं।
जैसे ही जगमीत सिंह का राजनीतिक करियर एक नए मोड़ पर पहुंचा है, दुनिया भर में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह हार केवल एक चुनावी नाकामी है, या भारत के खिलाफ उनकी रुख की वजह से कनाडाई जनता का जवाब? फिलहाल, बर्नबे की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक, यह हार सुर्खियों में बनी हुई है।