जब कर्नल ग्रेसी साउथेम्प्टन में टाइटैनिक पर चढ़े थे
यह पत्र 10 अप्रैल 1912 को लिखा गया था, जब कर्नल ग्रेसी साउथेम्प्टन में टाइटैनिक पर चढ़े थे। यह वही दिन था, जब जहाज उत्तरी अटलांटिक में हिमखंड से टकराने के पांच दिन पहले रवाना हुआ था।
इस दुर्घटना में 1,500 से अधिक लोग मारे गए थे
ध्यान रहे कि कर्नल ग्रेसी न्यूयॉर्क जा रहे टाइटैनिक पर सवार लगभग 2,200 यात्रियों में से एक यात्री थे, जिनमें से 1,500 से अधिक लोग इस दुर्घटना में मारे गए थे। यह पत्र 11 अप्रैल 1912 को आयरलैंड के क्वीन्सटाउन में जहाज के डॉक किए जाने पर पोस्ट किया गया था और इस पर 12 अप्रैल की लंदन की पोस्टमार्किंग भी थी।
अधिकतर लोग थकान और ठंड की वजह से मर गए थे
नीलामी में मदद करने वाले नीलामीकर्ता ने कहा कि यह पत्र टाइटैनिक पर लिखे किसी भी पत्र से अधिक मूल्य का था। कर्नल ग्रेसी ने बाद में “द ट्रुथ अबाउट द टाइटैनिक” नामक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। इस किताब में उन्होंने बताया कि कैसे वे बर्फीले पानी में पलटी हुई लाइफबोट पर चढ़ कर बच गए, लेकिन अधिकतर लोग थकान और ठंड की वजह से मर गए थे।
उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ
हालांकि कर्नल ग्रेसी इस आपदा से बच गए, मगर हाइपोथर्मिया और चोटों के कारण उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ। वे 2 दिसंबर 1912 को कोमा में चले गए थे और दो दिन बाद मधुमेह की जटिलताओं के कारण उनका निधन हो गया था।
टाइटैनिक जहाज कब, कैसे और क्यों डूबा ?
टाइटैनिक जहाज 14-15 अप्रैल 1912 की रात को डूबा था। यह हादसा तब हुआ जब टाइटैनिक उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक विशाल हिमखंड (आइसबर्ग) से टकरा गया। घटना का क्रम इस तरह था: 10 अप्रैल 1912: टाइटैनिक इंग्लैंड के साउथैम्प्टन बंदरगाह से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ। 14 अप्रैल 1912, रात लगभग 11:40 बजे: टाइटैनिक एक हिमखंड से टकरा गया। 15 अप्रैल 1912, तड़के लगभग 2:20 बजे: टाइटैनिक पूरी तरह से समुद्र में डूब गया।
कुछ मुख्य कारण:
जहाज बहुत तेज रफ्तार से चल रहा था। हिमखंड को देखकर भी समय पर दिशा नहीं बदली जा सकी। पर्याप्त लाइफबोट नहीं थीं, जिससे कई लोगों की जान नहीं बच पाई।