शहर के बौरीपारा निवासी शिवशंकर तिवारी की पहचान केदारपुर निवासी चंद्र किशोर तिवारी व अतुल तिवारी, रायपुर के 10 उद्यानपथ चौबे कालोनी निवासी आलोक तिवारी व अंबिकापुर के शिवधारी कॉलोनी प्रतापपुर नाका निवासी आरती देशमुख पति मनोज देशमुख (Big fraud) से पूर्व से ही थी।
इन सभी लोगों ने मिलकर वर्ष 2013 में फर्म तिवारी कंस्ट्रक्शन का पंजीयन बिलासपुर से कराया था। उक्त फर्म द्वारा भवन निर्माण का कार्य शासकीय टेंडर प्राप्त कर किया जाता था। वर्ष 2017 में शिवशंकर के साथ अन्य 4 पार्टनरों ने नोटरी से शपथ पत्र तैयार कराकर फर्म के समस्त कार्यों को करने की सहमति (Big fraud) दी थी।
शासकीय टेंडर मिलने पर शिवशंकर तिवारी ने बाजार से लगभग 2 करोड़ 30 लाख रुपए के उधार की निर्माण सामग्री लेकर ठेकेदारी कार्य में लगाई थी। इसके बाद कंपनी को अधिक मुनाफा भी हुआ था।
शिवशंकर ने उधार के रुपयों की मांग की तो चारों सहयोगियों (Big fraud) ने देने से इंकार कर दिया और कहा कि आपने लिया है तो आप समझो। उधार की राशि देने से इनकार करने पर शिवशंकर ने फर्म के बैंक खाते को 31 मई 2024 को होल्ड करा दिया।
Big fraud: कूटरचना कर फिर बना लिया फर्म
फर्म का बैंक खाता होल्ड होने के बाद चारों आरोपियों ने साजिश रची। उन्होंने 10 जुलाई कार्यालय उप पंजीयक अम्बिकापुर (पंजीयन) में उपस्थित होकर सुनियोजित साजिश (Big fraud) करते हुए, शिवशंकर द्वारा लिए गए उधार निर्माण सामग्रियों के 2 करोड़ 30 लाख रुपए व फर्म में लगाई गई अंश पूजी व लाभांश को हड़पने के लिए कूटरचना कर फिर फर्म बना लिया।
फर्जी हस्ताक्षर कर खाते को करा लिया अनहोल्ड
शिवशकर को बिना उसकी सहमति एवं उसकी अंश पूंजी का भुगतान किए बगैर मेसर्स तिवारी कंस्ट्रक्शन फर्म से निकाल दिया गया। इसके बाद चारों आरोपियों (Big fraud) ने आवेदक के फर्जी हस्ताक्षर कर होल्ड बैंक खाते को अनहोल्ड करा लिया। फिर खाते में जमा संपूर्ण रकम आहरित कर ली थी।
इस पर आवेदक ने शिवशंकर ने मामले में न्यायालय में परिवाद दाखिल किया। इसमें सुनवाई के बाद न्यायालय के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने आरोपी चंद्रकिशोर तिवारी, अतुल तिवारी, आलोक तिवारी व आरती देशमुख के खिलाफ धारा 318(4), 319 (2), 320, 322, 336 (3). 338, 340 के तहत तहत रिपोर्ट दर्ज किया है।