कुंदरकी में भाजपा की ऐतिहासिक वापसी
कुंदरकी विधानसभा सीट पर 2024 में हुए चुनाव में भाजपा ने सपा को करारी हार दी थी। इससे पहले भाजपा को इस सीट पर साल 1993 में जीत मिली थी। 65 प्रतिशत मुस्लिम वोटर (40 हजार तुर्क मुसलमान व 45 हजार मुस्लिम राजपूत शामिल) वाली यह सीट मुश्किल थी। यहां भाजपा ने गैर मुस्लिम चेहरे के तौर पर रामवीर सिंह को उतारा था, इसके बावजूद उन्हें जीतने के लिए मुस्लिम वोट की जरूरत थी। पार्टी ने मुस्लिमों की तुर्क और राजपूत बिरादरी को साधने पर फोकस किया। कटेहरी में भाजपा की रणनीतिक जीत
दलित और कुर्मी मतदाताओं की प्रभाव वाली कटेहरी सीट पर सपा-बसपा का दबदबा रहा था। 2024 के उपचुनाव में मुख्यमंत्री ने विशेष ध्यान देते हुए प्रत्याशी चयन में धर्मराज निषाद को आगे किया, जिससे निषाद वोटरों का समर्थन सुनिश्चित हुआ। सीएम ने लगातार जनसभाएं कर माहौल बनाया। नतीजा यह रहा कि जिस सीट पर
भाजपा 2024 उपचुनाव से पहले केवल एक बार विजयी हुई थी, वहां एक बार फिर कमल खिल उठा।
2022 से शुरू हुआ सिलसिला
मुश्किल सीटों पर भाजपा की जीत का सिलसिला 2022 में रामपुर और
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव से शुरू हुआ। इससे पहले, रामपुर में भाजपा दो बार और आजमगढ़ में केवल एक बार विजयी हुई थी, लेकिन उपचुनाव में दोनों सीटें भाजपा के खाते में चली गईं। 2022 में रामपुर विधानसभा के उपचुनाव में भी यही रणनीति कारगर रही। योगी की कुशल रणनीति, सही प्रत्याशी चयन, समीकरणों का संतुलन, मुद्दों की धार और सरकार के कामकाज के दम पर रामपुर विधानसभा भी भाजपा की झोली में आ गई।