scriptगाजियाबाद एडिशनल कमिश्नर कल्पना सक्सेना पर हमले के तीन दोषी सिपाही गए जेल, जाने मामला | Three constables guilty of attacking Ghaziabad Additional Commissioner Kalpana Saxena sent to jail, know the case | Patrika News
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गाजियाबाद एडिशनल कमिश्नर कल्पना सक्सेना पर हमले के तीन दोषी सिपाही गए जेल, जाने मामला

गाजियाबाद की एडिशनल कमिश्नर पुलिस कल्पना सक्सेना पर हुए जानलेवा हमले के मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को तीन आरोपियों रविंदर, रावेंद्र, मनोज और ऑटो चालक धर्मेंद्र को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इन दोषियों को 24 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी।

बरेलीFeb 21, 2025 / 08:27 pm

Avanish Pandey

बरेली। गाजियाबाद की एडिशनल कमिश्नर पुलिस कल्पना सक्सेना पर हुए जानलेवा हमले के मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को तीन आरोपियों रविंदर, रावेंद्र, मनोज और ऑटो चालक धर्मेंद्र को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इन दोषियों को 24 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी।

बरेली में एसपी ट्रैफिक पद पर रहते समय हुई घटना

घटना सितंबर 2010 की है, जब कल्पना सक्सेना बरेली में एसपी ट्रैफिक के पद पर कार्यरत थीं। उस समय, वे नकटिया इलाके में निरीक्षण के लिए पहुंची थीं, जहां उन्होंने ट्रैफिक पुलिस के तीन सिपाही रविंदर सिंह, रावेंद्र सिंह और मनोज को कार में बैठकर ट्रकों से अवैध वसूली करते देखा। जब उन्होंने इन सिपाहियों को पकड़ने की कोशिश की, तो वे कार लेकर भागने लगे। कल्पना सक्सेना ने भागती हुई कार का दरवाजा पकड़ लिया, लेकिन सिपाहियों ने वाहन नहीं रोका, जिससे वह घसीटकर सड़क पर गिर गईं और घायल हो गईं। घटना के बाद आरोपी सिपाही मौके से फरार हो गए। तत्कालीन एसएसपी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया, लेकिन बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर वे बहाल हो गए। इसके बाद दोबारा विभागीय जांच हुई, जिसमें उन्हें फिर से दोषी पाया गया, और एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने तीनों सिपाहियों को दोबारा सेवा से हटा दिया।

कोर्ट में कमजोर किया गया था मामला

मामले की जांच में पुलिस की लापरवाही सामने आई। विवेचक ने सबूत मिटाने की कोशिश की, और यहां तक कि तत्कालीन एसपी ट्रैफिक के गनर और चालक ने भी कोर्ट में आरोपी सिपाहियों को पहचानने से इनकार कर दिया। आइपीएस अफसर पर हमले के इस मामले को जानबूझकर कोर्ट में कमजोर किया गया था। जब जिरह के दौरान कल्पना सक्सेना को एहसास हुआ कि केस गलत दिशा में जा रहा है, तो उन्होंने वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एस.के. सिंह, सहायक अभियोजन अधिकारी विपर्णा और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक अमृतांशु के माध्यम से अपने पक्ष को मजबूती से रखा, जिससे केस को पुनः जीवित किया जा सका। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब एक आईपीएस अधिकारी के मामले में पुलिस का यह रवैया है, तो आम जनता के मामलों में क्या स्थिति होगी? भ्रष्टाचार और जानलेवा हमले से जुड़े इस केस में विवेचक द्वारा सबूत मिटाने की कोशिशों को लेकर शुक्रवार को पूरे दिन कचहरी में चर्चा होती रही।

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