इतना ही नहीं, आधा शिक्षा सत्र बीतने के बाद गत नवंबर में छात्राओं को साइकिल नसीब हो पाई। प्राथमिक जरूरत की पुस्तकें, नोटबुक और स्टेशनरी के लिए भी विद्यार्थी वंचित रहता है। कक्षा में बैठने के पहले दिन जिस सामान की जरूरत पड़ती है, वह आधे सत्र या इसके बाद मिलती है। इस बार भी विद्यार्थियों को अगस्त-सितम्बर में पुस्तकों का वितरण हो पाया। कम्प्यूटर शिक्षा जैसे विषय की पुस्तकें तो छह महीने बाद मिलीं।
छात्रवृत्ति भुगतान…पढ़ाई के बाद
चालू शिक्षा सत्र में विद्यार्थियों को अब तक छात्रवृत्ति नहीं मिली है। अभी तो स्कूलों में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन लेने की ही प्रक्रिया चल रही है। इंदिरा शक्ति फीस पुनर्भरण योजना में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में आठवीं तक पढ़ी छात्राओं को कक्षा 9 से 12 तक निजी स्कूल में पढ़ने पर उसकी फीस का सरकार छात्रा को पुनर्भरण करती है। इस साल स्कूलों में पूरी फीस का भुगतान करने के बावजूद सरकार से छात्राओं को कोई भुगतान नहीं मिला है। विडम्बना यह है कि पढ़ाई पूरी कर अगली कक्षा में पहुंचने पर छात्रवृत्ति मिलती है।
शिक्षा सत्र 2024-25: योजनाएं और उनकी प्रगति
योजना पात्रता चालू सत्र की प्रगति-हश्र नि:शुल्क ड्रेस आठवीं तक के विद्यार्थी जुलाई 2024 में मिलनी थी, अब तक नहीं नि:शुल्क साइकिल 9वीं कक्षा की सभी छात्राएं जुलाई 2024 की जगह नवम्बर में मिलीं टैबलेट योजना 8,10, 12 के मेधावी विद्यार्थी जुलाई 2024 में मिलने थे, अब तक नहीं पुस्तकें वितरण सभी विद्यार्थियों को मई में सत्र शुरू, पढ़ने को मिली अगस्त में छात्रवृत्ति योजना एससी, एसटी, दिव्यांग, जुलाई 2024 में शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद
दूध वितरण कक्षा 8वीं तक के विद्यार्थी जुलाई की जगह नवम्बर में उपलब्ध कराया इंदिरा शक्ति निजी स्कूलों में पढ़ रही छात्राएं चालू सत्र की फीस का अब तक भुगतान नहीं लाडो प्रोत्साहन योजना छात्राएं 5 जिलों में शून्य, शेष में आधा-अधूरा भुगतान
टॉपिक एक्सपर्ट
ओम प्रकाश सारस्वत, पूर्व संयुक्त निदेशक, माध्यमिक शिक्षा राजस्थान वेलकम किट में मिले तभी लाभ की सार्थकताशिक्षा हर बच्चे का कानूनी अधिकार है। सरकारी स्कूलों में छात्रवृत्ति एवं प्रोत्साहन योजनाएं संचालित होती हैं। किसी भी वजह से विद्यार्थी शिक्षा से वंचित नहीं रहे, इसके लिए मदद के प्रावधान किए गए हैं। इनमें साइकिल, यूनिफॉर्म, निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें, पोषाहार शामिल हैं। शिक्षा सत्र शुरू होते ही विद्यार्थी को वेलकम किट के रूप में पुस्तकें, ड्रेस, साइकिल, छात्रवृत्ति आदि मिल जानी चाहिए। तभी इन योजनाओं की सार्थकता है। कार्य संपादन का कैलेण्डर बनाकर सख्ती से उसका अनुसरण किया जाए। औपचारिकताएं कम से कम हों। पढ़ाई पूरी होने या सत्र बीत जाने पर ड्रेस, साइकिल या अन्य मदद देते हैं, तो उसका कोई औचित्य नहीं है।