scriptकिलिमंजारो पर तिरंगा लहराकर बिलासपुर लौटी निशा का हुआ जोरदार स्वागत, पिता बोले – बेटा नहीं है तो क्या, मेरी बेटी किसी से कम है क्या? | Nisha was welcomed back to Bilaspur after waving tricolor on Kilimanjaro | Patrika News
बिलासपुर

किलिमंजारो पर तिरंगा लहराकर बिलासपुर लौटी निशा का हुआ जोरदार स्वागत, पिता बोले – बेटा नहीं है तो क्या, मेरी बेटी किसी से कम है क्या?

Bilaspur News: पहले लोग कहते थे मेरा कोई बेटा नहीं है। तब मैं चुप रहता था। लेकिन अब मैं उनसे कहता हूं बेटा नहीं है तो क्या, मेरी बेटी निशा किसी से कम है क्या? यह कहना है शहर की युवा पर्वतारोही निशा यादव के पिता श्याम कार्तिक उर्फ लाला यादव का।

बिलासपुरFeb 13, 2025 / 04:38 pm

Khyati Parihar

किलिमंजारो पर तिरंगा लहराकर बिलासपुर लौटी निशा का हुआ जोरदार स्वागत, पिता बोले - बेटा नहीं है तो क्या, मेरी बेटी किसी से कम है क्या?
Bilaspur News: पहले लोग कहते थे मेरा कोई बेटा नहीं है। तब मैं चुप रहता था। लेकिन अब मैं उनसे कहता हूं बेटा नहीं है तो क्या, मेरी बेटी निशा किसी से कम है क्या? यह कहना है शहर की युवा पर्वतारोही निशा यादव के पिता श्याम कार्तिक उर्फ लाला यादव का।
निशा अफ्रीका की सबसे ऊंची किलिमंजारो (19,341 फीट)) पर पत्रिका का बैनर और तिरंगा लहराकर बुधवार को जैसे ही स्टेशन पहुंची तो वहां ब्रह्माकुमारी बहनों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इसके बाद निशा उनके साथ पत्रिका दफ्तर पहुंची। यहां अपने इस जर्नी का अनुभव शेयर किया। इसके बाद चिंगराजपारा स्थित अपने घर पहुंची, तो वहां परिजनों, सहेलियों और पड़ोसियों ने उसकी आरती उतारकर और तिलक लगाकर मिठाई खिलाई।
निशा की उस उपलब्धि से खुश ऑटो चालक श्याम कार्तिक ने कहा कि मेरी दो बेटियां हैं। मेरी इच्छा थी कि एक बेटा होना चाहिए। कई बार लोग बोलते भी थे। लेकिन अब लगता है कि जो हुआ ठीक ही हुआ। क्योंकि मेरी बेटी निशा ने मेरा नाम इतना ऊंचा कर दिया है जो बेटा भी शायद नहीं कर पाता। शहर में लोग अब मुझे निशा के बाबूजी कहकर जानते हैं। हमारे लिए बेटा-बेटी एक समान है।
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ब्रह्माकुमारी बहन और भाइयों ने किया स्वागत

किलिमंजारो से दिल्ली होते हुए शहर पहुंचने पर उसलापुर स्टेशन पर ब्रह्माकुमारी बहन-भाइयों ने निशा का जोरदार स्वागत किया। इस दौरान बिरकोना सेंटर की संचालिका लक्ष्मी बहन, आसमा सिटी की सेंटर संचालिका बीके अंशु, बीके निशु, सरकंडा सेंटर की संचालिका बीके मधु, बीके जीवन, बीके संदीप, बीके सुभाष और बीके चक्रधर आदि मौजूद रहे।

निशा ने दी परिवार को नई पहचान

11 दिन के बाद निशा को देखते ही मां राजकुमारी ने गले से लगा लिया। उन्होंने नम आंखों से कहा कि उसके इस सपने को साकार करने के लिए हम सबने खूब पूजा, आराधना की। निशा ने हमारे परिवार को नई पहचान दी है। पहले हमें कोई जानता तक नहीं था। आज कहीं भी जाओ तो लोग निशा के पापा और मम्मी कहकर संबोधित करते हैं तो बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व होता है। जीवन में इससे बड़ा संतान का सुख और खुशी क्या हो सकती है।

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