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BCCI की बढ़ेगी जिम्मेदारी, राष्ट्रीय खेल विधेयक के दायरे में आएगा भारतीय क्रिकेट बोर्ड

BCCI) को राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 के अंतर्गत लाने की तैयारी चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार मौजूदा मानसून सत्र में ही राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 पेश करने वाली है।

भारतJul 22, 2025 / 11:31 pm

satyabrat tripathi

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BCCI Logo (Photo Credit – IANS)

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 के अंतर्गत लाने की तैयारी चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार मौजूदा मानसून सत्र में ही राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 पेश करने वाली है। खेल मंत्रालय के सूत्रों से यह जानकारी मिली। खेल मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि बीसीसीआई समेत सभी महासंघों के लिए एनएसपी के अंतर्गत आना अनिवार्य होगा। बीसीसीआई एकमात्र प्रमुख खेल संस्था थी, जो सरकारी नियमों के दायरे में नहीं आती थी।
अब देखना होगा कि क्या बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी पद पर बने रहेंगे। बीसीसीआई के नियमों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र तक ही अध्यक्ष की कुर्सी पर रह सकता है। बिन्नी बीते 19 जुलाई को 70 साल के हो गए। सितंबर में बीसीसीआई की वार्षिक आम बैठक होने वाली है। देखना होगा कि बिन्नी को अध्यक्ष बने रहने दिया जाता है या वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला पदभार संभालते हैं।
यह विधेयक अक्टूबर 2024 से प्रक्रियाधीन है। इसका उद्देश्य खेलों के विकास और संवर्धन, खिलाड़ियों के लिए कल्याणकारी उपायों, खेलों में नैतिक प्रथाओं और उनसे जुड़े या प्रासंगिक मामलों का प्रावधान करना है।

यह खेल महासंघों के प्रशासन के लिए संस्थागत क्षमता और विवेकपूर्ण मानकों की स्थापना के लिए भी जिम्मेदार होगा, जो ओलंपिक और खेल के सुशासन, नैतिकता और निष्पक्ष खेल, ओलंपिक चार्टर, पैरालंपिक चार्टर, बेस्ट इंटरनेशनल प्रैक्टिस और स्थापित कानूनी मानकों के बुनियादी सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित होंगे।
विधेयक में खेल संबंधी शिकायतों और खेल विवादों के एकीकृत, न्यायसंगत और प्रभावी समाधान हेतु उपाय स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसपी) के माध्यम से 10 समस्याओं का समाधान करना है-
राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) में प्रशासन में अपादर्शिता : निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना।

शासन में खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व का अभाव : एथलीट समितियों के माध्यम से खिलाड़ियों को शामिल करना और उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ियों (एसओएम) का प्रतिनिधित्व अनिवार्य करना।
एनएसएफ चुनावों पर बार-बार मुकदमेबाजी : अदालती मामलों को कम करने के लिए स्पष्ट चुनावी दिशानिर्देश और विवाद समाधान तंत्र स्थापित करना।

खिलाड़ियों का अनुचित या अपारदर्शी चयन : चयन मानदंडों को मानकीकृत करना और योग्यता-आधारित चयन सुनिश्चित करने के लिए ट्रायल और परिणामों के प्रकाशन को अनिवार्य करना।
उत्पीड़न और असुरक्षित खेल वातावरण : शिकायतों के लिए सुरक्षित खेल तंत्र, पीओएसएच अनुपालन और स्वतंत्र समितियों का गठन अनिवार्य करना।

शिकायत निवारण माध्यमों का अभाव : एथलीटों, प्रशिक्षकों और हितधारकों के लिए समर्पित, समयबद्ध शिकायत निवारण प्रणालियां स्थापित की गईं।
लंबी कानूनी देरी से एथलीटों के करियर को नुकसान : विवादों को शीघ्रता से निपटाने के लिए त्वरित मध्यस्थता या न्यायाधिकरण प्रणाली की शुरुआत की गई।

आयु हेरफेर और डोपिंग : कानूनी दायित्वों के रूप में सख्त सत्यापन, बायोमेट्रिक प्रणाली और डोपिंग रोधी अनुपालन को लागू किया गया।
अधिकारियों के बीच हितों का टकराव : हितों के टकराव के नियमों की स्पष्ट परिभाषाएं और प्रवर्तन लागू किया गया।

एनएसएफ और आईओए के लिए एक समान संहिता का अभाव : सभी खेल निकायों को एक एकीकृत शासन संहिता और पात्रता मानदंडों के अंतर्गत लाया गया।
खेल विधेयक के अंतर्गत बीसीसीआई के आने के बाद रोजर बिन्नी को अध्यक्ष के रूप में 3 साल का एक और कार्यकाल मिल सकता है।

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