हर साल ढाई हजार छात्र हो रहे पास आउट हर जिले में कक्षा १२वीं और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने वाले विद्यार्थयिों की संख्या लगभग ढाई हजार है। इसमें से लॉ की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी भी होते हैं। अधिकांश सरकारी कॉलेज में दाखिले का प्रयास करते हैं। इनमें डॉ. हरिङ्क्षसह गौर केंद्रीय विवि सागर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे शहर शामिल हैं। सरकारी कॉलेज में प्रवेश न मिल पाने की वजह से कई छात्र वापस लौट आते हैं और अन्य विषय लेकर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं।
आसान नहीं रहता दाखिला मिलना
मप्र में दो सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैं। इनमें डॉ. हरिङ्क्षसह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय शामिल हैं। यहां पर लॉ की पढ़ाई करने का सपना हर किसी छात्र का होता है, लेकिन सीमित सीट होने के कारण यहां पर दाखिला मिलना काफी मुश्किल रहता है। अधिकांश सीटें बाहरी राज्यों के बच्चों से भर जाती हैं।
जिले में सरकारी लॉ कॉलेज न होना अजीब लगता है। मैंने खुद प्रायवेट कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की। प्रायवेट कॉलेज में लॉ की पढ़ाई करना आसान नहीं होता। सरकारी कॉलेज की अपेक्षा काफी ज्यादा फीस देना पड़ती है। लॉ के क्षेत्र में क्लेट की तैयारी के लिए भी यहां कोई सुविधा नहीं है। लॉ की पढ़ाई करने के बाद जज बनने की तैयारी के लिए भी यहां कोई सुविधा नहीं है। शासन-प्रशासन को चाहिए कि विद्यार्थियों की सुविधा के लिए सरकारी लॉ कॉलेज खोले जाने के
प्रयास करें।
सहिब खान, युवा अधिवक्ता