आरोप और प्रतिक्रिया
अजित कुमार गुप्ता का आरोप है कि मुखलाल पाल ने उन्हें पार्टी में पद देने का वादा किया था, लेकिन इसके बदले 50 लाख रुपये की मांग की। गुप्ता ने यह राशि अदा करने के बाद आरोप लगाया कि यह रकम पार्टी फंड में जमा नहीं की गई, और जिलाध्यक्ष ने इसे अपने पास रख लिया। गुप्ता ने इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्ष ने न केवल उनका विश्वास तोड़ा, बल्कि पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुंचाया है।
भाजपा ने किया मामले का संज्ञान
पड़ोसी जनपद बांदा के रहने वाले अजीत गुप्ता के आरोपों के बाद भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ल ने मामले का संज्ञान लिया और एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। इस समिति में प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता, प्रदेश महामंत्री राम प्रताप सिंह चौहान और प्रदेश मंत्री शंकर लाल लोधी को शामिल किया गया है। शुक्ल ने जिलाध्यक्ष से सात दिनों के भीतर इस मामले पर जवाब देने को कहा है, और यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।
जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल का रिएक्शन
मुखलाल पाल ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए इसे अपनी छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश बताया है। उन्होंने गुप्ता के खिलाफ आईटी एक्ट और मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात भी कही है। जिलाध्यक्ष का कहना है कि यह आरोप राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं, और वह इसे अदालत में साबित करने के लिए तैयार हैं।
गंभीर भ्रष्टाचार आरोप से पहले के जमीन विवाद का संदर्भ
जमीन पर कब्जे को लेकर जिलाध्यक्ष ने प्रशासन से शिकायत की थी। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए उस जमीन को कब्जा मुक्त कर दिया, लेकिन इसके बाद विवाद गहरा गया। बताया जा रहा है कि जमीन पर कब्जे से संबंधित मामले में कुछ भाजपा नेताओं का भी नाम जुड़ा हुआ था, जिनके प्लॉट उस जमीन पर थे। कब्जा हटने के बाद, एक पत्र के जरिए आरोप लगाए गए कि जिलाध्यक्ष ने इस मामले में अपनी भूमिका का फायदा उठाया है। अब यह मामला स्थानीय राजनीति का हिस्सा बन गया है, और इसकी जांच की जा रही है।
जिलाध्यक्ष का मामला और लंबित चयन प्रक्रिया
फतेहपुर जिले में भाजपा जिलाध्यक्ष का चयन अभी लंबित है। प्रदेशभर में जिलाध्यक्षों की घोषणाएं जल्द होने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन फतेहपुर जिले में जिलाध्यक्ष का नाम अभी तक घोषित नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार, जिलाध्यक्ष के चयन के लिए नामांकन प्रक्रिया में कुछ अड़चनें आई हैं। भाजपा के नियमों के अनुसार, जिलाध्यक्ष के चयन के लिए 50 प्रतिशत से अधिक मंडलध्यक्षों का समर्थन जरूरी होता है, लेकिन वर्तमान में जिले के 23 मंडलों में से केवल 11 मंडलध्यक्षों का ही चयन हुआ है, जिससे नामांकन प्रक्रिया ठप हो गई है।
भाजपा संगठन में हलचल
फतेहपुर की राजनीति में इस विवाद ने हलचल मचा दी है। भाजपा संगठन के अंदर इस प्रकरण को लेकर गंभीर चर्चाएं हो रही हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता इसे गंभीरता से लेकर पूरे मामले की जांच की बात कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब किसी पार्टी पदाधिकारी पर इस प्रकार के आरोप लगाए गए हैं, लेकिन इस बार मामला सीधे भाजपा के जिलाध्यक्ष पर है, जिनका शीर्ष नेतृत्व से घनिष्ठ संबंध है, जो इस मामले को और भी गंभीर बना रहा है।
भविष्य की दिशा
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच समिति इस मामले में क्या निष्कर्ष निकालती है और भाजपा इस पर किस प्रकार की कार्रवाई करती है। पंकज कश्यप की इस खास रिपोर्ट ने बताया कि यह मामला न केवल फतेहपुर जिले, बल्कि उत्तर प्रदेशभर में भाजपा की छवि पर असर डाल सकता है। पार्टी को इस प्रकरण में पारदर्शिता बरतने की आवश्यकता है, ताकि संगठन की प्रतिष्ठा की रक्षा की जा सके और इस कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टी क्या कदम उठाती है…?भा.ज.पा. को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस मामले में पारदर्शिता से कार्रवाई हो, ताकि न केवल संगठन की छवि को बचाया जा सके, बल्कि पार्टी के अंदर के कथित भ्रष्टाचार या फिर आपसी अनबन पर भी कड़ी नजर रखी जा सके। अब यह महत्वपूर्ण होगा कि भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व इस विवाद को किस तरह सुलझाते हैं, और किस तरह की कार्रवाई करते हैं। स्पष्ट मामला तो जांचोपरांत ही पता चलेगा, कि मामला भ्रष्टाचार का या फिर जमीनी विवाद को लेकर निजी राजनैतिक खुन्नस !
फतेहपुर से पंकज कश्यप की रिपोर्ट