कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भूमि में विद्युत चालकता 0.5 मिली म्हौज प्रति सेमी होने पर बीज का अंकुरण तीव्र से गति से होता है। इस मात्रा के कम ज्याद होने पर जमीन की अंकुरण क्षमता क्षीण यानि खत्म होने लगती है। वर्तमान में हनुमानगढ़ की जमीन में विद्युत चालकता 1.0 से 5.0 मिली म्हौज प्रति सेमी है। जो भविष्य में आने वाली खतरनाक स्थिति की आहट देता है। करीब एक-दो बरसों से कुछ किसान अब फसल अवशेषों का प्रयोग खेत तैयार करते समय करने लगे हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में मामूली सुधार देखने को मिला है। राजकीय उर्वरक परीक्षण प्रयोगशाला श्रीगंगानगर के उप निदेशक जीएस तूर के अनुसार कुछ किसान अब समझ दिखा रहे हैं। इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। हम हमारे स्तर पर किसानोंं को रासायनिक खाद का कम उपयोग करने की सलाह देते रहते हैं। अब किसान इस बात को समझने लगे हैं। यह खेती के लिहाज से सुखद है।
धरती की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए कुछ मित्र कीट भी कुदरत ने बनाए हैं। जो मिट्टी की सेहत का बखूबी ध्यान रखते हैं। परंतु जिले में धान की कटाई के बाद कुछ किसान खेतों में आग लगा देते हैं। इससे पराली के साथ धरती के नीचे निवास करने वाले मित्र कीट भी जल जाते हैं। इससे पृथ्वी की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार प्राकृतिक रूप से खेत खाली होने पर उसमें फसल अवशेष डालकर खेत को तैयार करना चाहिए। इसके बाद विभागीय सलाह के अनुसार बिजाई करनी चाहिए।