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हनुमानगढ़

पंचायतीराज ने महिलाओं को दिए खूब अधिकार, ‘पंचायती’ पर पुरुषों ने मारी कुंडली

नुमानगढ़. जिले में चाहे जिला परिषद हो या फिर पंचायत समितियां। जहां-जहां महिला जनप्रतिनिधि हैं। वहां कुछ जगह उनके पति या परिवार के अन्य पुरुष सदस्य ही कामकाज संभाल रहे हैं।

हनुमानगढ़Apr 24, 2025 / 11:40 am

Purushottam Jha

पंचायतीराज ने महिलाओं को दिए खूब अधिकार, ‘पंचायती’ पर पुरुषों ने मारी कुंडली

पंचायतीराज ने महिलाओं को दिए खूब अधिकार, ‘पंचायती’ पर पुरुषों ने मारी कुंडली

-जिले में 268 सरपंचों में 140 महिलाएं, कुछ को छोडकऱ बाकी जगहों पर पुरुषों की पंचायती बरकरार
-दो दशक पहले की तुलना में हालांकि अबकी तस्वीर में काफी सुधार, कुछ महिलाएं चौके-चूल्हे से बाहर निकल पंचायतों की संभाल रही कमान
हनुमानगढ़. जिले में चाहे जिला परिषद हो या फिर पंचायत समितियां। जहां-जहां महिला जनप्रतिनिधि हैं। वहां कुछ जगह उनके पति या परिवार के अन्य पुरुष सदस्य ही कामकाज संभाल रहे हैं। ऐसे में पंचायतीराज के दिए अधिकार का उपयोग महिलाएं सही तरीके से नहीं कर पा रही हैं। हालांकि दो दशक पहले की तस्वीर पर नजर डालेंगे तो इसकी तुलना में वर्तमान में काफी बदलाव भी आए हैं। अब कुछ जगहों पर बैठकों में महिला जनप्रतिनधि खुद शामिल होकर जनता का पक्ष मजबूती से रख रही हैं। महिला संबंधी मुद्दों पर वह मुखर हो रही हैं। परंतु कुछ गांवों में महिला सरपंच और वार्ड पंच अब भी राजनीतिक रूप से काफी कमजोर साबित हो रही हैं। जिले के सबसे बड़े गांवों में शुमार फेफाना में पंचायतीराज क्षेत्र में वर्तमान में सरपंच से लेकर पंचायत समिति सदस्य तथा जिलापरिषद सदस्य तक के पदों पर महिला जनप्रतिनिधि ही काबिज हैं। लेकिन पंचायतीराज की ओर से उन्हें जो अधिकार दिए गए हैं। उन अधिकारों का पालन अधिकांश जगह महिला जनप्रतिनिधि खुद नहीं करके उनके पति की ओर से किया जाता रहा है। जनता की ओर से चुनी गई महिला जनप्रतिनिधि क्या चूल्हे-चौके तक ही सीमित रह गई है या फिर उन्हें पंचायतीराज विभाग की ओर से दिए गए अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है। महिला जनप्रतिनिधि खुद निर्णय लेकर कार्य करें तो पंचायती राज व्यवस्था को सुधारने में देर नहीं लगेगी। फेफाना में सरपंच के पद पर महिला मैनावती ज्याणी कार्यरत हैं। लेकिन खुद सरपंच घर गृहस्थी के कार्यों में समय लगाते हैं। पंचायतीराज के कार्य अक्सर पति द्वारा ही किए जाते हैं। पंचायतीराज विभाग द्वारा महिला जनप्रतिनिधियों को दिए गए अधिकारों को लेकर पंचायत समिति सदस्य एवं प्रशासन स्थायी समिति सदस्य संतोष गोदारा काफी आशान्वित दिखाई दी। उन्होंने बताया कि पति के स्थान पर वह स्वयं कमान संभाल रही हैं। पंचायत समिति की तकरीबन सभी बैठकों में भाग लेकर अपने क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाना उनकी पहली प्राथमिकता रहती है। चुनौतियों का डटकर मुकाबला करना पड़ेगा तभी तो महिलाएं आगे बढ़ सकेंगी। पंचायत समिति सदस्य रीटा बिजारणियां ने पंचायती राज विभाग द्वारा उन्हें दिए गए अधिकारों का पालन करने की बात कही। अगर इनके अधिकारों का अन्य इस्तेमाल करते हैं तो वह इसके खिलाफ हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी बैठकों में अक्सर भाग लेकर क्षेत्र की समस्याओं को उठाकर उनका निराकरण भी करवाया है। जिला परिषद सदस्य संतोष नायक ने पंचायतीराज की ओर से महिला जनप्रतिनिधियों को दिए गए अधिकारों का पूरी तरह से पालन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं होगी तो महिलाओं को आगे बढऩे का मौका नहीं मिलेगा। जिला परिषद की बैठक में वह स्वयं कमान संभालती रही है।
इसलिए हर वर्ष मनाते हैं राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस हर साल 24 अप्रेल को मनाया जाता है। इस दिन 1992 में संविधान में 73 वां संशोधन लागू हुआ था। इससे पंचायतीराज संस्थाओं को संवैधानिक रूप से मान्यता मिली। उन्हें स्थानीय स्वशासन का अधिकार दिया गया।
…….फैक्ट फाइल…
-हनुमानगढ़ जिला परिषद में कुल 29 सदस्य हैं। इसमें 18 सदस्य महिलाएं हैं।
-जिले में 268 सरपंचों में 140 महिला सरपंच निर्वाचित हैं।
-हनुमानगढ़ जिले मे कुल 3003 वार्ड पंच निर्वाचित हैं। इनमें 1438 महिलाएं हैं।
-जिले में सात पंचायत समितियां हैं, इसमें 04 पंचायत समितियों में महिला प्रधान हैं।
-हनुमानगढ़ की सभी सातों पंचायत समितियों में कुल 143 पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित हैं। इसमें 83 महिलाएं हैं।
नहीं देते दखल, काफी सीखा
मेरे जिला प्रमुख का कार्यकाल आगे पूरा होने वाला है। मुझे पता नहीं चला कि वक्त कैसे बीत गया। मेरे कामकाज में मेरे परिजनों ने किसी तरह का दखल नहीं दिया। इस वजह से मुझे कामकाज करने का मौका मिला। किसी बैठक में मेरे पति साथ नहीं गए। मैं जब जिला प्रमुख बनी तो, दो-तीन बैठकों के बाद ही महिला जनप्रतिनिधियों की बजाय उनके पति के शामिल होने का मुद्दा उठा तो हमने प्रस्ताव पारित करवाकर इस पर पाबंदी लगवा दी। इसके बाद महिला जनप्रतिनिधि काफी मुखर होकर बैठकों में शामिल होने लगी। घर से बाहर निकलेंगी तभी महिलाओं को कामकाज का ज्ञान होगा।
-कविता मेघवाल, जिला प्रमुख, हनुमानगढ़
दो दशक में बदली तस्वीर
हनुमानगढ़ जिले की बात करें तो यहां महिला जनप्रतिनिधि अपने अधिकारों के प्रति काफी जागरूक हैं। अधिकतर जगहों पर हमने देखा है कि यहां वह अपना कामकाम खुद कर रही हैं। पंचायतीराज व्यवस्था की बात करें तो दो दशक पहले तथा वर्तमान में काफी सकारात्मक बदलाव आए हैं। शुरुआती दौर में निर्वाचन के बाद भी महिलाएं बैठकों में उतना शामिल नहीं होती थी। परंतु जिला परिषद की बैठक में महिला सदस्यों की संख्या अब काफी अच्छी रहती है। गांवों की बात करें तो हमारे पास लिखित में अभी तक कोई शिकायत नहीं प्राप्त हुई है, जिसमें महिला जनप्रतिनिधि की जगह उनके परिवार के पुरुष कामकाज संभालते हों। शिकायत मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-ओपी बिश्नोई, सीईओ, जिला परिषद सीईओ हनुमानगढ़
सामंजस्य से निराकरण
सरपंच की एसएसओ आईडी से राजस्व विभाग ने जमीन सम्बंधी इंतकाल दर्ज जोड़ दिया है। ट्रेनिंग की व्यवस्था के साथ सरकार नई गाइडलाइंस जारी करे ताकि समस्या से बचें। हालांकि पंचायत से होने वाले भुगतान व ओटीपी खुद अपने मोबाइल से चेक करके देती हूं। मैं 27 वर्षीय स्नातक महिला हूं। मेरे दो बच्चे हैं। उनकी पढ़ाई, घरेलू तथा पंचायती दायित्वों को टाइम-टेबल अनुरूप निजी जिंदगी में तय किया है। मेरे साथ वार्ड पंच चंद्रकला, विमलादेवी, रमनदीप कौर और सुमन सहयोग करती हैं। मीटिंग में उपस्थित होकर गांव की समस्या पर चर्चा करती हैं। विकास कार्यों को खुद संभालती हूं। समस्याओं का अपने स्तर पर सांमजस्य से निवारण करने का प्रयास करती हूं।
  • दीपिका शर्मा, सरपंच ग्राम पंचायत रासूवाला, पंचायत समिति संगरिया
आरक्षण के चलते लड़वाते चुनाव
देश में 50 फीसदी आरक्षण होने के बावजूद महिलाओं को जेंडर क्वालिटी में कम देखा गया है। राजनीति में आज भी वो दर्जा नहीं मिलता जो पुरुषों को है। राजनीति में आरक्षण के चलते चुनाव लड़वाते हैं लेकिन पुरुष वर्ग हावी रहता है। हालांकि परिवार व पंचायत में समय देते हुए पूरा काम खुद संभालती हूं। मेरी पंचायत में चार महिला पंच सहित ग्राम विकास अधिकारी कमलादेवी ग्राम विकास में सहयोग करती हैं। महिला हितैषी पंचायत बनाने का प्रयास है। देखने में आया है दक्षिण में महिलाएं, पुरुषों से ज्यादा आगे हैं। लेकिन राजस्थान में नहीं।
-रमनदीप कौर, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय सरपंच संघ, हनुमानगढ़

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