राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस हर साल 24 अप्रेल को मनाया जाता है। इस दिन 1992 में संविधान में 73 वां संशोधन लागू हुआ था। इससे पंचायतीराज संस्थाओं को संवैधानिक रूप से मान्यता मिली। उन्हें स्थानीय स्वशासन का अधिकार दिया गया।
-हनुमानगढ़ जिला परिषद में कुल 29 सदस्य हैं। इसमें 18 सदस्य महिलाएं हैं।
-जिले में 268 सरपंचों में 140 महिला सरपंच निर्वाचित हैं।
-हनुमानगढ़ जिले मे कुल 3003 वार्ड पंच निर्वाचित हैं। इनमें 1438 महिलाएं हैं।
-जिले में सात पंचायत समितियां हैं, इसमें 04 पंचायत समितियों में महिला प्रधान हैं।
-हनुमानगढ़ की सभी सातों पंचायत समितियों में कुल 143 पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित हैं। इसमें 83 महिलाएं हैं।
मेरे जिला प्रमुख का कार्यकाल आगे पूरा होने वाला है। मुझे पता नहीं चला कि वक्त कैसे बीत गया। मेरे कामकाज में मेरे परिजनों ने किसी तरह का दखल नहीं दिया। इस वजह से मुझे कामकाज करने का मौका मिला। किसी बैठक में मेरे पति साथ नहीं गए। मैं जब जिला प्रमुख बनी तो, दो-तीन बैठकों के बाद ही महिला जनप्रतिनिधियों की बजाय उनके पति के शामिल होने का मुद्दा उठा तो हमने प्रस्ताव पारित करवाकर इस पर पाबंदी लगवा दी। इसके बाद महिला जनप्रतिनिधि काफी मुखर होकर बैठकों में शामिल होने लगी। घर से बाहर निकलेंगी तभी महिलाओं को कामकाज का ज्ञान होगा।
-कविता मेघवाल, जिला प्रमुख, हनुमानगढ़
हनुमानगढ़ जिले की बात करें तो यहां महिला जनप्रतिनिधि अपने अधिकारों के प्रति काफी जागरूक हैं। अधिकतर जगहों पर हमने देखा है कि यहां वह अपना कामकाम खुद कर रही हैं। पंचायतीराज व्यवस्था की बात करें तो दो दशक पहले तथा वर्तमान में काफी सकारात्मक बदलाव आए हैं। शुरुआती दौर में निर्वाचन के बाद भी महिलाएं बैठकों में उतना शामिल नहीं होती थी। परंतु जिला परिषद की बैठक में महिला सदस्यों की संख्या अब काफी अच्छी रहती है। गांवों की बात करें तो हमारे पास लिखित में अभी तक कोई शिकायत नहीं प्राप्त हुई है, जिसमें महिला जनप्रतिनिधि की जगह उनके परिवार के पुरुष कामकाज संभालते हों। शिकायत मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-ओपी बिश्नोई, सीईओ, जिला परिषद सीईओ हनुमानगढ़
सरपंच की एसएसओ आईडी से राजस्व विभाग ने जमीन सम्बंधी इंतकाल दर्ज जोड़ दिया है। ट्रेनिंग की व्यवस्था के साथ सरकार नई गाइडलाइंस जारी करे ताकि समस्या से बचें। हालांकि पंचायत से होने वाले भुगतान व ओटीपी खुद अपने मोबाइल से चेक करके देती हूं। मैं 27 वर्षीय स्नातक महिला हूं। मेरे दो बच्चे हैं। उनकी पढ़ाई, घरेलू तथा पंचायती दायित्वों को टाइम-टेबल अनुरूप निजी जिंदगी में तय किया है। मेरे साथ वार्ड पंच चंद्रकला, विमलादेवी, रमनदीप कौर और सुमन सहयोग करती हैं। मीटिंग में उपस्थित होकर गांव की समस्या पर चर्चा करती हैं। विकास कार्यों को खुद संभालती हूं। समस्याओं का अपने स्तर पर सांमजस्य से निवारण करने का प्रयास करती हूं।
- दीपिका शर्मा, सरपंच ग्राम पंचायत रासूवाला, पंचायत समिति संगरिया
देश में 50 फीसदी आरक्षण होने के बावजूद महिलाओं को जेंडर क्वालिटी में कम देखा गया है। राजनीति में आज भी वो दर्जा नहीं मिलता जो पुरुषों को है। राजनीति में आरक्षण के चलते चुनाव लड़वाते हैं लेकिन पुरुष वर्ग हावी रहता है। हालांकि परिवार व पंचायत में समय देते हुए पूरा काम खुद संभालती हूं। मेरी पंचायत में चार महिला पंच सहित ग्राम विकास अधिकारी कमलादेवी ग्राम विकास में सहयोग करती हैं। महिला हितैषी पंचायत बनाने का प्रयास है। देखने में आया है दक्षिण में महिलाएं, पुरुषों से ज्यादा आगे हैं। लेकिन राजस्थान में नहीं।
-रमनदीप कौर, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय सरपंच संघ, हनुमानगढ़