चिकित्सकों की माने तो इन्फ्लूएंजा बी वायरस के कारण बच्चों के फेफड़ों में संक्रमण है। जिले में इन्फ्लूएंजा बी वायरस की चपेट में आने से चार बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि दो बच्चे बीकानेर की पीबीएम अस्पताल में भर्ती हैं। जिले में इस वायरस की पुष्टि तब हुई जब गत दिनों में निकटवर्ती गांव सम्पतनगर में एक ही दिन में दो भाई – बहन की मौत हो गई। सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव के दर्जनों लोगों के सैंपल लिए और जांच के लिए जयपुर भिजवाए गए। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि उक्त बच्चों को इन्फ्लूएंजा बी की शिकायत थी।
राज्य स्तर पर अवगत, कोई असर नहीं
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की ओर से राज्य स्तर पर इस प्रकरण को अवगत करवाया जा चुका है। लेकिन मुख्यालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से अभी तक कोई टीम जिले में नहीं आई है और न ही वस्तुस्थिति के बारे में संज्ञान लिया है। स्थानीय टीम की ओर से सूचना मिलने पर सर्वे करने का कार्य किया जा रहा है और जांच के लिए लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं। इस प्रकरण पर स्वास्थ्य विभाग की स्टेट टीम को स्थानीय टीम से फीडबैक लेकर काम किया जाना चाहिए और इस वायरस को लेकर अब तक एडवाइजरी जारी की जानी चाहिए थी।
ये होते हैं लक्षण
शुरूआती तौर पर बच्चों को बुखार व खांसी की शिकायत होती है। इसके अलावा गले में खराश, शरीर में दर्द, ठंग लगना इत्यादि लक्षण होते हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। बच्चों को समय पर दवा नहीं देने पर न्यूमोनिया की शिकायत हो रही है। बच्चे की छाती में पूरी तरह जकड़न होने पर सांस लेने की तकलीफ होने लगती है। चिकित्सकों की माने तो सामान्य तौर पर बच्चों के बीमार होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें और समय पर दवाई दें। इस तरह के बच्चे केवल तीन से पांच दिन में ठीक हो रहे हैं।
ये बोले विशेषज्ञ
जिला अस्पताल के पीडियाट्रिशियन डॉ. हरविंद्र सिंह ने बताया कि ज्यादातर बच्चे खांसी,जुकाम व बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हैं। समय पर ईलाज होने से अधिकांश बच्चे ठीक हो रहे हैैं। लेकिन कुछ बच्चों में गंभीर न्यूमोनिया हो रहा है। इससे सांस लेने में तकलीफ होती है और आक्सीजन लेवल धीरे-धीरे कम होने लगता है। इससे स्थिति नाजुक होने की समस्या रहती है। इसलिए बच्चों को बार-बार हाथ धोने, मास्क लगाने, भीड़ भाड़ वाली जगहों से बचना चाहिए। पोष्टिक आहार लेना चाहिए। बच्चों को सर्दी,खांसी होने पर तुरंत नजदीक के अस्पताल में जाकर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इन दिनों में बच्चों में सांस तेज लेना, मसलियों का सांस के साथ अंदर धंसना, सीने में दर्द, हाथ-पैर नीले होना, दूध पीने में परेशानी होना, तेज बुखार इत्यादि लक्षण बच्चों में देखने को मिल रहे हैं।
जिला अस्पताल ने दो को किया रैफर
जिला अस्पताल से अब तक छह बच्चों को रैफर किया जा चुका है। गत दिनों में दो बच्चों को बीकानेर पीबीएम में रैफर किया गया है। दोनों बच्चों के फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। ऑक्सीजन लेवल भी काफी कम था। मामला गंभीर होने पर चिकित्सकों ने दोनों को रैफर किया।