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हुबली

गायन प्रतियोगिता में दिखाया उत्साह, नेत्रहीन विद्याथियों ने दी उम्दा प्रस्तुति

राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली संस्करण के बीसवें स्थापना दिवस के अवसर पर नेत्रहीन विद्याथियों के लिए गायन प्रतियोगिता रखी गई। शहर के श्री आरूढ़ एजुकेशन सोसायटी फॉर डिसएबल्ड की ओर से संचालित स्कूल के विद्यार्थियों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुुति दी। प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने कन्नड़ एवं हिंदी में गानों की प्रस्तुति दी। संगीत शिक्षिका अनीता ने हारमोनियम पर साथ दिया। यहां स्कूल में पढ़ाने वाले अधिकांश शिक्षक भी नेत्रहीन है। हुब्बल्ली के साथ ही आसपास के जिलों से विद्यार्थी यहां अध्ययन कर रहे हैं।

हुबलीMar 28, 2025 / 04:37 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली संस्करण के बीसवें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में मौजूद अतिथि एवं गायन की प्रस्तुति देते हुए।

राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली संस्करण के बीसवें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में मौजूद अतिथि एवं गायन की प्रस्तुति देते हुए।

पढऩे-लिखने के लिए ब्रेल लिपि
स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि नेत्रहीन पढऩे एवं लिखने के लिए ब्रेल लिपि का इस्तेमाल करते हैं। ब्रेल नेत्रहीनों के लिए पढऩे और लिखने के लिए एक स्पर्शनीय कोड है। इसमें एक विशेष प्रकार के कागज का प्रयोग किया जाता है, जिस पर लगे बिन्दुओं को छूकर पढ़ा जा सकता है। ये नेत्रहीन छात्र ब्रेल लिपि की मदद से आसानी से पढ़-लिख लेते हैं। ब्रेल में उभरे हुए 1 से 6 बिन्दुओं की यह एक व्यवस्था या प्रणाली होती है, जिसमें बिन्दु अक्षर, संख्या और संगीत व गणितीय चिन्हों के संकेतकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ब्रेल लिपि से कम्प्यूटर तक
शिक्षकों ने बताया कि लुई ब्रेल ने केवल तीन साल की उम्र में ही एक दुर्घटना के कारण अपनी दोनों आंखों की रोशनी खो दी थी। आंखें संक्रमित होने के कारण उनकी आंखों की दृष्टि पूरी तरह चली गई थी लेकिन दृष्टिहीनता के बावजूद उन्होंने अकादमिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। समय के साथ तकनीकी युग में ब्रेल लिपि में कुछ बदलाव होते रहे हैं और अब ब्रेल लिपि कम्प्यूटर तक भी पहुंच गई है। ब्रेल लिपि ने विश्वभर में दृष्टिहीनों तथा आंशिक रूप से नेत्रहीनों की जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है।
रवीन्द्र जैन ने नेत्रहीन होने के बावजूद दिया मधुर संगीत
समारोह के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय राजेन्द्र युवक परिषद हुब्बल्ली के पूर्व सचिव संजय सेठ धानसा ने कहा कि रवीन्द्र जैन भी नेत्रहीन थे। दोनों आंखों से न देख पाने पर भी उन्होंने अनेक मधुर संगीत गाए थे। वह हिन्दी फिल्मों के जाने-माने संगीतकार और गीतकार थे। इन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत फिल्म सौदागर से की थी जिसमें इन्होंने गीत भी लिखे थे और उनको स्वरबद्ध भी किया था। इन्हें सन् 1985 में फिल्म राम तेरी गंगा मैली के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार भी मिला है। वर्ष 2015 में उनको पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
विद्यार्थियों की हौसला अफजाई
सेठ ने कहा कि भारतीय टेलीविजन के मील के पत्थर कहे जाने वाले रामानंद सागर द्वारा निर्देशित धारावाहिक रामायण में भी रवीन्द्र जैन ने ही संगीत दिया था जिससे कि वे भारत के घर-घर में पहचाने जाने लगे। यह शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए ही नहीं अपितु सामान्य व्यक्तियों के लिए भी एक बहुत अच्छे प्रेरणा स्त्रोत है। रवीन्द्र जैन का जन्म 28 फरवरी 1944 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ। उनके पूर्वज राजस्थान के जैसलमेर से यहां आए थे। वर्ष 1972 में उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। जन्म से नेत्रहीन होने पर भी हिन्दी फिल्मों में गाना गाकर मशहूर हो गए। रवींन्द्र जैन के लोकप्रिय गीतों में गीत गाता चल, ओ साथी गुनगुनाता चल…, जब दीप जले आना….., ले जाएंगे, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे…, ले तो आए हो हमें सपनों के गांव में…, ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए…., एक राधा एक मीरा…., समेत कई शामिल है। सेठ ने गीत-संगीत की अच्छी प्रस्तुति के लिए विद्यार्थियों की हौसला अफजाई की।
दी सामाजिक सरोकारों की जानकारी
प्रारम्भ में राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली के संपादकीय प्रभारी अशोक सिंह राजपुरोहित ने राजस्थान पत्रिका के स्थापना दिवस एवं पत्रिका के सामाजिक सरोकारों के बारे में जानकारी दी। स्कूल की छात्रा शारदा, लक्ष्मी, सुप्रिया एवं प्रियंका ने सामूहिक गीत प्रस्तुत किया। छात्र पार्थसारथी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सभी विद्यार्थियों को सेठ परिवार की ओर से स्टेशनरी सामग्री, फल, चॉकलेट समेत अन्य सामग्री का वितरण किया गया। सेठ परिवार ने भविष्य में भी इसी तरह के सहयोग का भरोसा दिलाया। सेठ परिवार के इशांत सेठ एवं धु्रव सेठ भी उपस्थित रहे। स्कूल की शिक्षिका शिल्पा शिरगुप्पी समेत अन्य शिक्षिक-शिक्षिकाओं ने व्यवस्थाओं में सहयोग किया। राजस्थान पत्रिका मार्केटिंंग विभाग के इरैया गुरुमठ भी मौजूद थे।

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