यह हालात दर्दनाक है। क्योंकि इन कैंसर पीड़ित बच्चों में से करीब 10 से 15 फीसदी तक बच्चों की मौत हो जाती है। यानी कि हर साल राजस्थान में दो हजार से तीन हजार तक बच्चों की कैंसर से मौत हो जाती है। डॉ जसूजा के अनुसार 100 में से 70 फीसदी बच्चे कैंसर से रिकवर होते है। 20 फीसदी का इलाज चलता रहता है। करीब 10 फीसदी बच्चों की मौत हो जाती है। राजस्थान में सबसे ज्यादा बच्चे ब्लड कैंसर से पीड़ित मिलते है।
लापरवाही का नतीजा, हमारे पास कैंसर का सही डाटा ही नहीं… स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के आंकड़े बताते है कि हर साल करीब 20 से 30 हजार बच्चों में कैंसर बीमारी ट्रेस हो रही है। लेकिन यह आंकड़े इससे ज्यादा भी हो सकते है। यह इसलिए कहा जा रहा है कि राजस्थान में कैंसर का इलाज कई अस्पताल कर रहे है। लेकिन कैंसर ट्रेस होने वाले बच्चों का सारा रेकॉर्ड अभी भी स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के पास नहीं आ रहा है। हालांकि डॉ जसूजा का दावा है कि यह पूरे स्टेट का रेकॉर्ड है। वहीं उनका यह भी कहना है कि अब भी कई अस्पतालों को चिन्हित किया जा रहा है, जो कैंसर ट्रेस होने के बाद डाटा नहीं देते है। ऐसे अस्पतालों को नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।
बच्चों में कैंसर के प्रकार… भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर वयस्कों के कैंसर से अलग होते हैं। ये आमतौर पर तेजी से विकसित होते हैं और इनके इलाज के लिए विशेष प्रकार की चिकित्सा की जरूरत होती है। बच्चों में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर), ब्रेन ट्यूमर, लिंफोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर (किडनी कैंसर), रेटिनोब्लास्टोमा, ऑस्टियो सारकोमा और इविंग सारकोमा (हड्डियों का कैंसर) है। इन बच्चों में होनी सर्जरी भी बहुत चुनौतीपूर्ण होती है।
बच्चों में कैंसर के लक्षण.. बच्चों में कैंसर की पहचान करना कठिन हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण आम बीमारियों से मिलते-जुलते होते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन लक्षणों के होने पर बच्चें की एक्सपर्ट से जांच कराई जाए। इन लक्षणों में शामिल हैं- अत्यधिक थकान और कमजोरी, लगातार बुखार रहना, असामान्य वजन घटना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण होना, शरीर पर असामान्य सूजन या गांठ, आंखों की रोशनी में गिरावट या सफेद चमक दिखना। अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।