Jaipur Discom: बिजली बिल फिर मारेगा करंट,टैरिफ बढ़ाने की तैयारी, गरीब उपभोक्ताओं पर सर्वाधिक भार
जयपुर डिस्कॉम ने बिजली टैरिफ बढ़ाने को लेकर आरईआरसी में याचिका दायर की है। प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो कम बिजली खपत वाले बिजली उपभोक्ताओं पर सर्वाधिक भार पड़ना तय है।
Electricity Tariff: जयपुर डिस्कॉम ने एक बार फिर बिजली महंगी करने को लेकर प्रस्ताव तैयार कर लिया है। डिस्कॉम्स ने बिजली की टैरिफ दरें रिवाइज करने के लिए राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग के समक्ष याचिका लगाई है। याचिका में बिजली बिल में विद्युत दरों से लेकर फ्यूल सरचार्ज तक में बढ़ोतरी का प्रस्ताव शामिल है।
याचिका के अनुसार जयपुर,अजमेर और जोधपुर विद्युत वितरण निगमों में 50 यूनिट तक उपभोग करने वाले छोटे व गरीब उपभोक्ताओं की विद्युत दरें 25 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। यानि वर्तमान में 50 यूनिट तक उपभोग वालों का 4.75 रुपए प्रति यूनिट का रेट है, नए प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो यह 6 रुपए प्रति यूनिट हो जाएगा। जबकि अन्य श्रेणियों में टैरिफ कम करने का प्रस्ताव है, लेकिन इन पर भी स्थायी शुल्क व अन्य शुल्क बढ़ाने की सिफारिश की गई है। आयोग जनसुनवाई के बाद टैरिफ याचिका पर फैसला देगा।
सुबह-शाम में महंगी, दोपहर में बिजली सस्ती
डिस्कॉम में 10 किलोवॉट से ज्यादा लोड वाले उपभोक्ताओं पर टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ लगाना प्रस्तावित किया है। इसके अनुसार सुबह 6 से 8 बजे तक बिजली उपभोग पर 5 प्रतिशत और शाम 6 से रात 10 बजे तक बिजली उपभोग पर 10 प्रतिशत ज्यादा शुल्क देना होगा। हालांकि, दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक खर्च की गई बिजली पर 10 प्रतिशत की छूट भी देने का प्रस्ताव है। टीओडी का सबसे ज्यादा नुकसान घरेलू उपभोक्ताओं को होगा और फायदा अघरेलू श्रेणी को मिलेगा।
अफसरों बोले, घटेगा विद्युत शुल्क
डिस्कॉम के चीफ इंजीनियर एसके राजपूत की दलील है कि याचिका में सभी श्रेणियों में विद्युत शुल्क कम करने का प्रस्ताव रखा है। राज्य के इतिहास में यह पहली बार है। अतिरिक्त विनियामक अधिभार लगाने के बाद भी उपभोक्ता के बिलों पर न्यूनतम असर पडेगा। भविष्य में बहुत सरल टैरिफ होगी।
जनसुनवाई जल्द, आमजन की भागीदारी कम
आरईआरसी की ओर से बिजली टेरिफ को लेकर जनसुनवाई शुरू होगी। लेकिन जनसुनवाई में आमजन की भागीदारी हर बार कम ही रहती है। विद्युत निगमों की ओर से रखे गए प्रस्ताव पर बिजली उपभोक्ताओं की कुल संख्या के अनुपात में महज दो से ढाई हजार याचिकाएं ही आरईआरसी के समक्ष पेश हो पाती हैं।