मनोवांछित फल की प्राप्ति
ज्योतिषाचार्य डाॅ. रवि शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि बुधवार, धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। इस दिन चार प्रहर की साधना से शिव की कृपा प्राप्त होगी। शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से उनके भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी।सूर्य रहेंगे अपने पुत्र शनि के घर
ज्योतिषाचार्य डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल महाशिवरात्रि बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन कई सालों बाद ग्रहों के दुर्लभ योग भी बन रहे हैं। महाशिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा, इसके साथ राहु भी रहेगा। ये एक शुभ योग है। इसके अलावा सूर्य-शनि कुंभ राशि में रहेंगे। सूर्य शनि के पिता हैं और कुंभ शनि देव की राशि है। ऐसे में सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में रहेंगे। शुक्र मीन राशि में अपने शिष्य राहु के साथ रहेंगे। कुंभ राशि में पिता-पुत्र और मीन राशि में गुरु-शिष्य के योग में शिव पूजा की जाएगी। ऐसा योग 152 साल बाद आ रहा है। 2025 से पहले 1873 में ऐसा योग बना था, उस दिन भी बुधवार को शिवरात्रि मनाई गई थी।कुण्डली विश्ल़ेषक डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि पर सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। इन तीनों ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का योग 2025 से पहले 1965 में बना था। ऐसी मान्यता है कि ग्रहों के इस दुर्लभ योग में शिव पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं, ऐसी मान्यता। इस साल शिवरात्रि पर शिव जी के साथ ही सूर्य, बुध और शनि ग्रह की भी विशेष पूजा करने का शुभ योग बन रहा है। इस योग में की गई पूजा-पाठ से कुंडली से जुड़े ग्रह दोष भी शांत हो सकते हैं। सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे। यह एक विशिष्ट संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है, जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं। इस प्रबल योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है। पराक्रम और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए सूर्य-बुध के केंद्र त्रिकोण योग का बड़ा लाभ मिलता है।