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संपादकीय : बच्चों पर मंडरा रहा ऑनलाइन गेम का खतरा

ऑनलाइन गेम से पनप रहे जानलेवा खतरों को लेकर दुनियाभर में चिंता जताई जा रही है। ऑनलाइन गेम की लत के शिकार बच्चों को बचाने के लिए कई देश इस समय अलर्ट मोड पर हैं। ब्राजील, चीन, वेनेजुएला, जापान और ऑस्ट्रेलिया में ऐसे गेम्स पर प्रतिबंध है, जो हिंसक प्रवृत्ति पैदा करते हैं। चीन में […]

जयपुरFeb 21, 2025 / 10:37 pm

arun Kumar

ऑनलाइन गेम से पनप रहे जानलेवा खतरों को लेकर दुनियाभर में चिंता जताई जा रही है। ऑनलाइन गेम की लत के शिकार बच्चों को बचाने के लिए कई देश इस समय अलर्ट मोड पर हैं। ब्राजील, चीन, वेनेजुएला, जापान और ऑस्ट्रेलिया में ऐसे गेम्स पर प्रतिबंध है, जो हिंसक प्रवृत्ति पैदा करते हैं। चीन में 18 साल से कम उम्र वालों को शुक्रवार, शनिवार, रविवार या फिर सार्वजनिक छुट्टी के दिन सुबह 8 से रात 9 बजे के बीच अधिकतम 3 घंटे तक ही ऑनलाइन गेम की अनुमति है। सख्त नियमों के बावजूद ब्राजील के एक किशोर ने ऑनलाइन चैलेंज पूरा करने के लिए खुद को बटरफ्लाई फ्लूड का इंजेक्शन लगा लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। पिछले महीने लखनऊ में एक बीडीएस छात्र ने आत्महत्या का खौफनाक कदम उठाने से पहले अपने दोस्तों को ऑनलाइन गेम खेलने के लिए नोटिफिकेशन भेजा था। वहीं, लखनऊ के दूसरे मामले में ऑनलाइन गेम की लत के शिकार दसवीं के छात्र ने मोबाइल गेम में नुकसान के बाद आत्महत्या कर ली।
ऑनलाइन गेम चैलेंज को लेकर बच्चों से जुड़ीं ये तो कुछ ही घटनाएं हैं। इससे पहले भी ब्लू वेल चैलेंज, द पास आउट चैलेंज, द सॉल्ट एंड आइस चैलेंज, द फायर चैलेंज और द कटिंग चैलेंज जैसे ऑनलाइन गेम दुनियाभर में हजारों बच्चों की जान ले चुके हैं। ब्लू वेल चैलेंज से दुनियाभर में 130 लोग और द पास आउट चैलेंज में एक हजार बच्चों की मौत खुद अपना गला दबाने या साथी का गला दबाने से हो चुकी है। द सॉल्ट एंड आइस चैलेंज खेलते समय तमाम बच्चे इसलिए अपंग हो गए क्योंकि उन्होंने अपने पैर माइनस 25 डिग्री बर्फ में 15 मिनट तक रखे थे। इसी तहर द फायर चैलेंज में बच्चे अपने शरीर पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगाते हैं और द कटिंग चैलेंज में अपने शरीर में घाव कर टास्क पूरा करने के लिए वीडियो अपलोड करते हैं। तमाम अध्ययन बताते हैं कि 80 फीसदी बच्चों में ऑनलाइन चैलेंज जीतने का लालच उन्हें आपराधिक प्रवृत्ति का बना रहा है। यह जरूरी है कि अभिभावक, बच्चों के लिए मोबाइल के इस्तेमाल को सीमित कर दें। ऐसा इसलिए भी कि अधिक समय पर मोबाइल पर व्यस्त रहने वाले बच्चों में ऑनलाइन गेम की लत लगने की आशंका ज्यादा रहती है। ऑनलाइन गेम चैलेंज पूरा करने के लिए बच्चों के घर छोडऩे तथा गेम में फेल होने पर आत्महत्या के मामले भी सामने आ चुके हैं। भारत में भी ऑनलाइन गेम की रोकथाम के लिए सरकार को सख्त कानून बनाना होगा, वहीं अभिभावकों को बच्चों को मोबाइल से दूर रहने के जतन करने होंगे।

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