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क्या था महाकुंभ हादसा?
महाकुंभ 2025 के दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए प्रयागराज में गंगा तट पर पहुंचे थे। इस दौरान अव्यवस्था और भीड़ नियंत्रण में असफलता के कारण बड़ी दुर्घटना हो गई, जिसमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और दर्जनों लोग घायल हुए। इस दर्दनाक हादसे के बाद प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हादसे की गहराई से जांच कराने के लिए न्यायिक आयोग के गठन की घोषणा की थी। अब यह आयोग पूरे घटनाक्रम की जांच करेगा और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। यह भी पढ़ें
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न्यायिक आयोग की भूमिका और कार्यप्रणाली
महाकुंभ हादसे की निष्पक्ष जांच करने के लिए गठित न्यायिक आयोग का मुख्य उद्देश्य हादसे के कारणों का पता लगाना, प्रशासन की जिम्मेदारी तय करना और भविष्य के लिए सुधारात्मक कदम सुझाना है। आयोग निम्नलिखित बिंदुओं पर काम करेगा:
- हादसे के कारणों की जांच – क्या यह घटना प्रशासनिक लापरवाही, सुरक्षा चूक, या भीड़ नियंत्रण की विफलता के कारण हुई?
- प्रशासनिक जवाबदेही – हादसे के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार था, क्या पहले से कोई अलर्ट जारी किया गया था?
- सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा – क्या सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे, और क्या उन्हें सही तरीके से लागू किया गया था?
- भविष्य के लिए सिफारिशें – इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएं?
आयोग के सदस्य और उनकी जिम्मेदारी
जांच आयोग में न्यायपालिका और प्रशासन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं। ये सदस्य सभी तथ्यों की बारीकी से जांच करेंगे और फिर एक निष्कर्ष निकालेंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।
लखनऊ स्थित कार्यालय में हुई पहली बैठक
आयोग की पहली बैठक 10 जनपथ, लखनऊ स्थित उसके कार्यालय में आयोजित की गई। इस बैठक में हादसे से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई और जांच के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई। सूत्रों के अनुसार, आयोग जल्द ही प्रयागराज का दौरा करेगा और वहां ग्राउंड रिपोर्ट लेकर प्रत्यक्षदर्शियों, घायलों, प्रशासनिक अधिकारियों और सुरक्षा बलों के बयानों को दर्ज करेगा।हादसे पर राजनीति भी तेज
इस पूरे घटनाक्रम पर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि महाकुंभ में हुई यह दुर्घटना सरकार की नाकामी को दर्शाती है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की है। हालांकि, सरकार का कहना है कि इस मामले में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सख्त कदम उठाए जाएंगे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े उपाय किए जाएंगे। यह भी पढ़ें
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क्या होगा आगे?
अब जब न्यायिक आयोग ने काम शुरू कर दिया है, तो सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि यह अपनी रिपोर्ट कब और क्या निष्कर्ष लेकर आएगा। सूत्रों का कहना है कि आयोग को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। इसके अलावा, आयोग की जांच रिपोर्ट के बाद यह भी तय होगा कि आगे प्रशासनिक अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी या नहीं। यदि लापरवाही साबित होती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ निलंबन या बर्खास्तगी जैसी सख्त कार्रवाई हो सकती है। यह भी पढ़ें