scriptUP में स्मार्ट मीटर लगाने में देरी! करोड़ों के नुकसान का खतरा, सरकार और UPPCL अलर्ट | UPPCL: Deadline March 31! Delay in Smart Meter Installation May Cost Uttar Pradesh Crores, UPPCL on High Alert | Patrika News
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UP में स्मार्ट मीटर लगाने में देरी! करोड़ों के नुकसान का खतरा, सरकार और UPPCL अलर्ट

UPPCL: उत्तर प्रदेश में 31 मार्च तक सरकारी भवनों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर नहीं लगने पर केंद्र सरकार आरडीएसएस योजना के तहत अनुदान रोक सकती है। यूपी पावर कॉरपोरेशन ने इस कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन सुस्ती के चलते अब तक मात्र 17,444 मीटर ही लगाए गए हैं।

लखनऊMar 01, 2025 / 08:01 pm

Ritesh Singh

उत्तर प्रदेश में सरकारी भवनों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने में देरी

उत्तर प्रदेश में सरकारी भवनों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने में देरी

 UP Government Smart Meters: उत्तर प्रदेश में सरकारी भवनों और कार्यालयों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया में हो रही देरी से राज्य को करोड़ों रुपये के अनुदान का नुकसान हो सकता है। केंद्र सरकार की रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत अनुदान प्राप्त करने के लिए 31 मार्च 2025 की समयसीमा निर्धारित की गई है। इस समय सीमा तक सभी सरकारी भवनों में स्मार्ट मीटर नहीं लगाए जाने पर अनुदान रोका जा सकता है, जिससे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) और विद्युत वितरण कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है।
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वर्तमान स्थिति और चुनौतियां

अब तक, राज्य में 1,74,440 सरकारी विद्युत कनेक्शनों में से केवल 17,444 (लगभग 15%) पर ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं। यह प्रगति संतोषजनक नहीं है, विशेष रूप से जब घरेलू और अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगाने का काम प्राथमिकता से किया जा रहा है। इस धीमी प्रगति के पीछे मुख्य कारणों में से एक है मीटर लगाने वाली कंपनियों की सुस्ती और सरकारी भवनों में मीटर लगाने में कम रुचि।

यूपीपीसीएल की कार्रवाई और निर्देश

यूपीपीसीएल के चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल ने सभी विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश दिया है कि 31 मार्च 2025 तक सभी सरकारी भवनों और कार्यालयों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का कार्य पूर्ण किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि इस समय सीमा तक लक्ष्य पूरा नहीं हुआ, तो केंद्र सरकार आरडीएसएस योजना के तहत राज्य को मिलने वाले अनुदान को रोक सकती है, जिससे राज्य को वित्तीय नुकसान होगा।
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टीम गठन और कार्य योजना

चेयरमैन के निर्देश के बाद, प्रत्येक फीडर के कार्यक्षेत्र में आने वाले सरकारी कार्यालयों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिए बिजली कर्मियों की टीमें बनाई गई हैं। ये टीमें मीटर लगाने वाली कंपनियों के साथ मिलकर कार्य कर रही हैं ताकि कार्य में तेजी लाई जा सके और समय सीमा के भीतर लक्ष्य पूरा हो सके।
Government Building

स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का उद्देश्य 

स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का उद्देश्य बिजली उपभोक्ताओं को उनकी खपत के प्रति जागरूक बनाना, बिजली चोरी को रोकना और राजस्व संग्रहण में सुधार करना है। सरकारी भवनों में स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली खपत की मॉनिटरिंग में पारदर्शिता आएगी और अनावश्यक बिजली खर्च को नियंत्रित किया जा सकेगा। इसके अलावा, प्रीपेड प्रणाली से सरकारी विभागों द्वारा बिजली बिलों के भुगतान में देरी की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि उन्हें अग्रिम भुगतान करना होगा।
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चुनौतियाँ और समाधान

सरकारी भवनों में स्मार्ट मीटर लगाने में आ रही चुनौतियों में प्रमुख हैं:

  • समन्वय की कमी: विभिन्न सरकारी विभागों और मीटर लगाने वाली एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी के कारण कार्य में देरी हो रही है।
  • तकनीकी समस्या: कुछ पुराने सरकारी भवनों में तकनीकी समस्याओं के कारण मीटर लगाने में दिक्कतें आ रही हैं।
  • प्रतिरोध: कुछ सरकारी विभागों में नए मीटर लगाने को लेकर प्रतिरोध देखा गया है, जो कार्य में बाधा बन रहा है।

समाधान के लिए सुझाव

  • समन्वय बैठक: नियमित अंतराल पर संबंधित विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय बैठक आयोजित की जाएगी ताकि समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके।
  • तकनीकी सहायता: पुराने भवनों में मीटर लगाने के लिए विशेष तकनीकी टीमों का गठन किया जाए जो समस्याओं का समाधान कर सकें।
  • जागरूकता अभियान: सरकारी विभागों में स्मार्ट मीटर के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाए जाएं ताकि प्रतिरोध कम हो और सहयोग बढ़े।
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उत्तर प्रदेश में सरकारी भवनों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाना अत्यंत आवश्यक है ताकि 31 मार्च 2025 की समयसीमा के भीतर लक्ष्य पूरा किया जा सके और केंद्र सरकार के अनुदान को सुरक्षित रखा जा सके। इसके लिए यूपीपीसीएल, विद्युत वितरण कंपनियों, मीटर लगाने वाली एजेंसियों और सरकारी विभागों के बीच समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। स्मार्ट मीटर लगाने से न केवल बिजली खपत की मॉनिटरिंग में सुधार होगा, बल्कि राजस्व संग्रहण में भी वृद्धि होगी, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

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