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Opinion : बीमा कराने वालों के हितों की रक्षा का अहम कदम

बीमा योजनाओं को और अधिक भरोसेमंद बनाने तथा बैंकों में जमा राशि को सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार के दो कदम स्वागत योग्य कहे जा सकते हैं। केंद्र ने बीमा कंपनियों को पॉलिसीधारकों के लिए फ्री लुक अवधि को एक माह से बढ़ाकर एक साल करने को कहा है। इसके तहत बीमा कराने के […]

जयपुरFeb 19, 2025 / 09:17 am

Anil Kailay

बीमा योजनाओं को और अधिक भरोसेमंद बनाने तथा बैंकों में जमा राशि को सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार के दो कदम स्वागत योग्य कहे जा सकते हैं। केंद्र ने बीमा कंपनियों को पॉलिसीधारकों के लिए फ्री लुक अवधि को एक माह से बढ़ाकर एक साल करने को कहा है। इसके तहत बीमा कराने के बाद बीमा पॉलिसी पसंद नहीं आने पर इसे एक साल के अंदर वापस कर सकेंगे। बीमा कंपनी को जमा किया गया प्रीमियम अमाउंट लौटाना होगा। इसी प्रकार सरकार बैंकों में जमा राशि पर बीमा कवरेज को बढ़ाने पर विचार कर रही है। इससे बैंक बंद होने या डूबने पर ग्राहक को अब पांच लाख रुपए से अधिक की रकम वापस मिल सकेगी। बीमा कंपनियां अक्सर ग्राहकों को लुभावने वादों के साथ पॉलिसी बेचती हैं और कई बार विवादों में भी फंस जाती हैं।
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023-24 में मिससेलिंग यानी गलत तरीके से पॉलिसी बेचने के 23 हजार मामले सामने आए। पॉलिसी पसंद नहीं आने पर ग्राहक अभी एक महीने के भीतर पॉलिसी वापस कर सकता है, जिसे बढ़ाकर अब एक साल करने के लिए कहा गया है। ऐसे में ग्राहक अपने पॉलिसी विकल्पों को अधिक समय तक देख सकेंगे। ऐसी अवधि को फ्री लुक अवधि कहते हैं। इस अवधि में संतुष्ट नहीं होने पर रद्द करने के प्रावधान से निश्चित ही बीमा उद्योग में पारदर्शिता और ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा। हालांकि फ्री लुक अवधि के विस्तार से बीमा कंपनियों को नुकसान की आशंका तो रहेगी पर दीर्घावधि में उन्हें फायदा भी हो सकेगा।
एक साल तक पॉलिसी वापस करने का विकल्प देने से ज्यादासंख्या में पॉलिसी रद्द होने का खतरा रहेगा। इससे बीमा कंपनियों के प्रीमियम का मुनाफा घट सकता है। साथ ही जमा राशि वापस करने से कंपनी में वित्तीय संकट उत्पन्न हो सकता है। सीधे तौर पर बीमा कंपनियों को अधिक समय तक ग्राहकों के पॉलिसी निर्णय पर नजर रखनी होगी। ग्राहकों को जोड़े रखने के प्रयासों के तहत कंपनियां ग्राहकों के अनुभव और उनकी संतुष्टि को प्राथमिकता देते हुए सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार कर सकेंगी। साथ ही बीमा कंपनियां पॉलिसी की शर्तों, लाभों और शुल्कों के बारे में अधिक स्पष्टता और पारदर्शिता अपनाएंगी। इस सुधार से न केवल ग्राहक अनुभव में वृद्धि होगी, बल्कि कंपनियों को बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त भी प्राप्त होगी। इसी तरह बैंकों में जमा राशि पर भी बीमा कवरेज बढऩे से पांच लाख से अधिक की रकम मिल पाएगी। सरकार के इस कदम से भी जनता में बैंकों के प्रति विश्वास और मजबूत होगा।

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