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महाकुंभ में जियो ट्यूब तकनीक के बाद भी आचमन युक्त नहीं गंगा का पानी, देखें वीडियो

महाकुंभ 2025 में गंगा की स्वच्छता प्राथमिकता है। 23 नालों के पानी को जियो ट्यूब तकनीक से ट्रीट कर ओजोनाइजेशन के माध्यम से शुद्ध कर गंगा में छोड़ा जा रहा है।

प्रयागराजFeb 13, 2025 / 07:40 pm

Nishant Kumar

सौरभ विद्यार्थी/प्रयागराज: महाकुंभ 2025 की तैयारियों में गंगा की स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है। इस बार स्नान के लिए आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को पहले से ज्यादा निर्मल और आचमन योग्य गंगा जल देने की कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की सख्त निगरानी में गंगा में गिरने वाले 23 अनटैप्ड नालों के पानी को पूरी तरह से ट्रीट करने के बाद ही छोड़ा जा रहा है।
महाकुंभ
इसके लिए प्रयागराज नगर निगम और यूपी जल निगम, नगरीय ने जियो ट्यूब तकनीक पर आधारित अस्थायी ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं, जो 24 घंटे काम कर रहे हैं। लेकिन आपको बता दें इस तकनिकी के इस्तेमाल के बाद भी आचमन योग्य गंगा जल श्रद्धालुओं को नहीं मिल पा रहा है। 

राजापुर के मेंहदौरी में 55 करोड़ रुपए की लागत से लगाया है ट्रीटमेंट प्लांट 

महाकुम्भ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम में स्नान करने आते हैं। लेकिन, 2019 के पहले के माघ और कुम्भ मेलों में संगम के दूषित जल में स्नान करने के लिए उन्हें बाध्य होना पड़ता था। सीएम योगी के स्पष्ट निर्देशानुसार इस बार महाकुम्भ में किसी भी नाले या सीवेज से अनट्रीटेड अपशिष्ट जल का दूषित पानी पवित्र नदियों में नहीं गिराया जाएगा।
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जल निगम, नगरीय ने प्रयागराज के सभी अनटैपड 23 नालों के ट्रीटमेंट के लिए जियो ट्यूब तकनीकी आधारित ट्रीटमेंट प्लान, राजापुर में लगाया है। इसके बारे में बताते हुए प्रोजेक्ट मैनेजर विकास जैन ने बताया कि 55 करोड़ रुपए की लागत से इस ट्रीटमेंट प्लांट को लगाया गया है जो पूरी क्षमता के साथ 24 घंटे काम करा रहा है।

शहर के सात प्रमुख स्थानों पर लगें है प्लांट 

शिवकुटी, एडीए, सलोरी, ससुरखेदरी, जोंडेलवाल, राजापुर और सदर बाजार से आने वाले नालों के गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाता है। यहां पॉलीमर और पीएसी  केमिकल मिलाकर गंदगी को जियो ट्यूब में एकत्र किया जाता है। 

कैसे काम कर रही जियो ट्यूब तकनीक ?

पहले गंगा में गिरने वाले नालों के पानी का क्लोरीनीकरण किया जाता था, लेकिन इस बार ओजोनाइजेशन तकनीक अपनाई गई है। क्लोरीन की अधिक मात्रा से जलीय जीवों को नुकसान होता था, जबकि ओजोनाइजेशन से पानी पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है। 
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विकास जैन ने बताया की पॉलीमर और पीएसी केमिकल मिलाकर गंदगी को जियो ट्यूब में एकत्र किया जाता है। 20 मीटर लंबी और 3 मीटर चौड़ी ये टेक्सटाइल ट्यूब्स गंदगी को अलग कर शुद्ध पानी को बाहर निकाल देती हैं। इसके बाद पानी को हाइड्रोजन परॉक्साइड से और शुद्ध कर ओजोनाइज किया जाता है, जिससे इसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म हो जाते हैं। तब जाकर यह पानी गंगा में छोड़ा जाता है।

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