सोया प्रोटीन एक उच्च गुणवत्ता वाला पोषक तत्व है और हजारों वर्षों से आहार का हिस्सा रहा है। हालांकि, यह अक्सर मिथकों और गलतफहमियों से घिरा रहता है।डॉ. श्याम रामकृष्णन, डायरेक्टर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने बताया सोया प्रोटीन से जुड़े कुछ मिथकों और उनके तथ्यों के बारे में। सोया प्रोटीन से जुड़े कुछ मिथकों और तथ्यों के बारे में एमवे के भारत और दक्षिण पूर्व एशिया मार्केट के रिसर्च एंड डेवलमेंट डॉयरेक्टर डॉ. श्याम रामकृष्णन ने बताया।
मिथक 1: सोया प्रोटीन हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है सच्चाई: यह एक सामान्य मिथक है कि सोया प्रोटीन पुरुषों में हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है क्योंकि इसमें आइसोफ्लेवोन नामक तत्व होते हैं, जो एस्ट्रोजन जैसे कार्य करते हैं। इसका डर यह है कि सोया टेस्टोस्टेरोन और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, शोधों से यह साबित हो चुका है कि सोया प्रोटीन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन या एस्ट्रोजन के स्तर को प्रभावित नहीं करता। सोया का आइसोफ्लेवोन इंसानी एस्ट्रोजन से बहुत कमजोर होता है और हार्मोनल संतुलन पर इसका कोई नकारात्मक असर नहीं होता।
मिथक 2: सोया प्रोटीन स्तन कैंसर का खतरा बढ़ाता है सच्चाई: यह मिथक उस धारणा से उत्पन्न होता है कि सोया में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं, जो स्तन कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। हालांकि, शोध से यह भी पता चला है कि सोया का सेवन स्तन कैंसर के खतरे को कम करता है, विशेष रूप से एशियाई देशों में, जहां सोया नियमित रूप से खाया जाता है।
मिथक 3: सोया प्रोटीन थायरॉइड फंक्शन पर असर डालता है सच्चाई: कुछ लोगों को यह चिंता रहती है कि सोया थायरॉइड फंक्शन को प्रभावित कर सकता है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज्म हो सकता है। हालांकि, सोया में गॉयट्रोजेन नामक तत्व होते हैं, जो थायरॉइड को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह तब ही संभव है जब अत्यधिक मात्रा में सोया खाया जाए। सामान्य मात्रा में सोया का सेवन थायरॉइड के लिए सुरक्षित होता है और हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित लोग भी डॉक्टर की सलाह पर इसे खा सकते हैं।
मिथक 4: सोया प्रोटीन से खनिजों का अवशोषण कम होता है सच्चाई: यह मिथक इस आधार पर है कि सोया में फाइटिक एसिड होता है, जो कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिजों के अवशोषण को कम करता है। हालांकि, सोया प्रोटीन को अलग करने की प्रक्रिया फाइटिक एसिड को कम करती है, लेकिन पूरी तरह से हटाती नहीं है। संतुलित आहार और अन्य पोषक तत्वों का सेवन खनिजों के अवशोषण को बेहतर बनाता है, जैसे विटामिन सी आयरन के अवशोषण में मदद करता है।
मिथक 5: जीएमओ सोया सुरक्षित नहीं है सच्चाई: कुछ लोगों का मानना है कि जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएमओ) सोया असुरक्षित है। लेकिन कई वैज्ञानिक अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि जीएमओ वाले खाद्य पदार्थ, जिनमें सोया भी शामिल है, पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यदि कोई जीएमओ से बचना चाहता है, तो नॉन-जीएमओ सोया भी आसानी से उपलब्ध है।
मिथक 6: सोया प्रोटीन दिमागी क्षमता को कम करता है सच्चाई: कुछ लोगों का यह मानना है कि सोया प्रोटीन दिमागी कार्यक्षमता, जैसे याददाश्त, को प्रभावित करता है। लेकिन बड़े पैमाने पर और लंबे समय तक किए गए अध्ययनों से यह साबित नहीं हुआ कि सोया प्रोटीन का दिमागी कार्यक्षमता पर कोई नकारात्मक असर पड़ता है।
अन्य मिथक: यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन के स्तर पर असर कुछ और मिथक हैं, जैसे सोया प्रोटीन यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन के स्तर को प्रभावित करता है। हालांकि, इंसानों पर किए गए कई अध्ययनों से इन दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिला है।
प्रोटीन शरीर के लगभग हर कार्य के लिए जरूरी है, चाहे वह मांसपेशियों को बनाना हो या शरीर के टिशू को ठीक करना। एक संतुलित आहार और सही पोषक तत्वों का सेवन सेहत के लिए जरूरी है। अगर आप प्लांट प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन कर रहे हैं, तो गुणवत्ता को प्राथमिकता दें। एक अच्छा प्लांट प्रोटीन सप्लीमेंट सोया, मटर, और गेहूं जैसे पौधों से बना होना चाहिए और इसमें नौ जरूरी अमीनो एसिड होने चाहिए, जो आसानी से पचने और अवशोषित होने वाले हों।
सोया प्रोटीन प्लांट-बेस्ड प्रोटीन के बेहतरीन स्रोतों में से एक है, लेकिन कई मिथकों की वजह से इसे नकारा गया है। हालांकि, विज्ञान यह साबित करता है कि संतुलित आहार में सोया प्रोटीन सुरक्षित और फायदेमंद है। अगर हम समझदारी से सोया प्रोटीन का सेवन करें, तो हम इसके सभी फायदे उठा सकते हैं और लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।