Mahakumbh2025: नटराज के नृत्य, रामायण के नवरस और सुरों की सुरीली तान से गूंज उठा गंगा पंडाल
Mahakumbh Prayagraj: महाकुंभ 2025 के भव्य आयोजन में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की धूम मची हुई है। गंगा पंडाल में आज भगवान नटराज के नृत्य, रामायण के नवरस प्रसंगों और शास्त्रीय संगीत की मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुप्रसिद्ध कलाकारों ने अपनी अद्भुत कला से भक्तों और श्रद्धालुओं को भक्ति और सांस्कृतिक रसधार में सराबोर कर दिया।
Mahakumbh Ganga Pandal: महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में आवाजाही हो रही है, जिससे प्रत्येक दिन प्रमुख स्नान तिथियों जैसा दृश्य देखने को मिल रहा है। गंगा पंडाल में नित्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम मची हुई है। आज के कार्यक्रम में पद्मश्री अरुणा महान्ति, सुप्रसिद्ध संगीतकार सौरेन्द्र और सौम्यजीत, और प्रख्यात बांसुरी वादक चेतन जोशी की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
ओडिसी नृत्य में भगवान नटराज का तांडव और रामायण के नवरस
प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना पद्मश्री अरुणा महान्ति ने अपने अद्भुत नृत्य संयोजन से गंगा पंडाल में उपस्थित सभी दर्शकों को मोहित कर दिया। उनकी प्रथम प्रस्तुति “शिव धीमहि” भगवान नटराज को समर्पित नृत्यांजलि थी। इसमें उन्होंने शिव द्वारा मां गंगा को अपने जटाओं में धारण करने, चंद्रमा को मस्तक पर सजाने और सागर मंथन में विष पीकर नीलकंठ बनने की दिव्य कथा को नृत्य के माध्यम से जीवंत कर दिया। उनकी भाव-भंगिमा और ऊर्जा से पूरा मंच झंकृत हो उठा।
दूसरी प्रस्तुति में उन्होंने “रस रामायण” के माध्यम से नवरसों को नृत्य रूप में प्रस्तुत किया। धनुष यज्ञ, राम-सीता का मिलन, शूर्पणखा प्रसंग, जटायु वध, रामसेतु निर्माण और राम-रावण युद्ध को अद्भुत भाव भंगिमा और मोहक नृत्य से प्रस्तुत किया गया। वीर रस, श्रृंगार रस और करुण रस के संयोजन से दर्शकों को रामायण की गाथा से जोड़ने में सफल रहीं।
संगीत की जादुई शाम: सौरेन्द्र और सौम्यजीत का गायन और पियानो संगम
भारत में हुए प्रतिष्ठित G-20 समिट, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और रविंद्र नाथ टैगोर की स्मृति में विशेष कार्यक्रमों में प्रस्तुति देने वाले सौरेन्द्र और सौम्यजीत ने अपनी गायन और संगीत से गंगा पंडाल में समां बांध दिया। उन्होंने पियानो और गायन का ऐसा समन्वय किया, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना “वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभः” से की। इसके बाद “वैष्णव जन तो तेने कहिए” प्रस्तुत कर लोगों को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। ए. आर. रहमान द्वारा कंपोज किए गए “ओ पालनहारे” की भावभीनी प्रस्तुति से श्रोताओं के दिलों को छू लिया। जयदेव द्वारा संपादित “हे मुरारे, कुंज बिहारी” को इतनी सजीवता से प्रस्तुत किया कि दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। महाकुंभ के लिए उन्होंने एक विशेष रचना तैयार की थी, जिसे पहली बार प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के अंत में राग भैरवी पर आधारित “मिले सुर मेरा तुम्हारा” प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर पूरा पंडाल संगीत के सुरों में डूब गया।
चेतन जोशी की बांसुरी में बहती गंगा-यमुना-सरस्वती की त्रिवेणी
सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक चेतन जोशी, जो पंडित अजय चक्रवर्ती, स्वर्गीय आचार्य जगदीश और स्वर्गीय पंडित भोलानाथ प्रसन्ना के शिष्य रहे हैं, ने अपनी बांसुरी की मधुर धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने सबसे पहले गंगा नदी की महिमा दर्शाने के लिए राग पहाड़ी प्रस्तुत किया। इसके बाद “जमुना किनारे मोरो गांव” भजन प्रस्तुत कर यमुना नदी की भव्यता को सुरों में ढाल दिया। राग सरस्वती के माध्यम से माता सरस्वती को नमन किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में उन्होंने राग देश प्रस्तुत किया, जिसमें कुम्भ की आध्यात्मिक ऊर्जा और राष्ट्रीय एकता का संदेश संजोया गया था।
कलाकारों का सम्मान और मंच संचालन
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अधिशासी कमलेश कुमार पाठक और वरिष्ठ सलाहकार गौरी बसु ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्र और प्रमाण पत्र भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन अभिजीत मिश्रा ने किया।
महाकुंभ 2025 में सांस्कृतिक आयोजनों की अनवरत धारा
महाकुंभ 2025 में इस प्रकार के आयोजन न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और संगीत की विरासत को भी सहेज रहे हैं। इस महापर्व में हर दिन किसी न किसी सांस्कृतिक प्रस्तुति के माध्यम से श्रद्धालु आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही अनुभवों से परिपूर्ण हो रहे हैं।