बेसहारा-बेघर बच्चों को भाड़े पर लेकर बांग्लादेश हिंसा में किया इस्तेमाल, UN रिपोर्ट का दावा- सरकार और विपक्ष दोनों ने किया शोषण
UN Report on Bangladesh Violence: UN की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल 2024 में जो छात्र आंदोलन भड़का था उसमें शामिल कई प्रदर्शनकारी छात्रों को सत्ता और विपक्ष दोनों ने भाड़े पर लिया था।
Bangladesh: पिछले साल 2024 में बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के जिम्मेदार छात्र आंदोलन में कई प्रदर्शनकारी भाड़े पर लाए गए थे। जी हां, ये खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की फैक्ट फाइंडिंग मिशन की रिपोर्ट में किया गया है। बांग्लादेश हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए छात्रों के कथित आंदोलन (Student Protest in Bangaldesh) के दौरान पिछली अवामी लीग सरकार (शेख हसीना की पार्टी) और विपक्षी दलों ने कई छात्र-छात्राओं की की भर्ती की, उन्हें इस काम के लिए पैसे दिए गए और उनका जमकर इस्तेमाल किया गया।
मदरसा के छात्रों, सड़क पर रहने वाले बेसहारा बच्चों को पैसों देकर लाया गया
UN की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस काम में (Bangladesh Student Protest) हाईस्कूल और मदरसा के छात्र, युवा श्रमिक और यहां तक कि सड़क पर रहने वाले बेसहारा बच्चे भी विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गए। गौर करने वाली बात ये भी है कि संयुक्त राष्ट्र की ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump on Bangladesh USAID funding) सरकार आरोप लगा रही है कि बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य बदलने के लिए अमेरिका के USAID संगठन ने बांग्लादेश को 2.9 करोड़ डॉलर दिए थे।
बांग्लादेश की मीडिया, सरकार में जिक्र तक नहीं
डोनाल्ड ट्रंप ने ये भी कहा है कि अमेरिका की मदद एक ऐसे वामपंथी संगठन को मिली, जिसे कोई नहीं जानता। हैरानी की बात यह है कि अमेरिका के इतने गंभीर आरोपों के बावजूद बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस सरकार और बांग्लादेशी मीडिया में इसको लेकर कोई बयान, बहस या चिंता नहीं देखी जा रही है।
आंदोलन के दौरान बच्चों की मौत
रिपोर्ट में कहा गया है कि आंदोलन के दौरान कम से कम 118 लोग मारे गए, जिनमें 12 से 13 प्रतिशत बच्चे थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर जानबूझकर बच्चों को अपंग बनाने, मनमाने ढंग से गिरफ्तार करने, यातना देने के साथ नाबालिगों को अमानवीय तरीके से हिरासत में रखा।
पैसों के लिए बेसहारा बच्चे हिंसा में शामिल हुए
सरकार गिरने के बाद कई अपराधी रिहा, हिंसक किशोर गिरोहों में खतरनाक वृद्धि रिपोर्ट के बाद, बांग्लादेश के NGO मानुषेर जोनो फाउंडेशन (MJF) की वरिष्ठ समन्वयक शहाना हुडा रंजना ने हिंसक विद्रोह में बच्चों को शामिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक गुटों दोनों की आलोचना की है।
रंजना ने कहा कि हमने बड़ी संख्या में बेघर बच्चों को भी सड़कों पर देखा, और उनमें से ज्यादातर पैसे के लिए वहां थे। उन्हें पैसे दिए जाते थे, उनके साथ भयावह तरीके से व्यवहार किया जाता था। लेकिन नौकरी में कोटा खत्म करने के आंदोलन में और सरकार विरोधी प्रदर्शनों बच्चे आखिर कैसे हिस्सा कैसे बन गए। रंजना ने यह भी कहा है कि, सरकार गिरने के बाद से कई अपराधी रिहा हो गए हैं और अब वे कमजोर युवाओं का शोषण कर रहे हैं…हम हिंसक किशोर गिरोहों में खतरनाक बढ़ोतरी देख रहे हैं। ये एक सामाजिक बीमारी बन गई है और यह बेहद चिंताजनक है।