डॉ बिसेन के अनुसार इस किस्म के बीज हैदराबाद से मंगवाए जाते हंै। 200 से 250 टन बीज की मांग रहती है। जिले में इसका 8 से 10 हजार का रकबे में उगाई जाती हैं। यह किस्म मल्टी रेजिस्टेंट होती है। इस कारण किसान अपने घर का बीज भी उपयोग करते हंै। यह प्रैक्टिस बैहर और परसवाड़ा के किसानों द्वारा प्रमुखता से की जाती है। जिले में आईआर 64 किस्म का 70 प्रतिशत बैहर व परसवाड़ा के किसानों द्वारा बुवाई की जाती है। इस क्षेत्र के किसान उर्वरकों का ज्यादा उपयोग नहीं करते हंै।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के हर संभागीय मुख्यालय पर प्राथमिकता से रीजनल कॉन्क्लेव के आयोजन कराए गए। इन कॉन्क्लेव से स्थानीय उद्योगों को आकर्षित करने में सफलता मिली है। व्यापार एवं उद्योग विभाग की प्रबंधक प्रीति मर्सकोले ने बताया कि जिले में कई तरह के उद्योग बढऩे लगे हंै। इसमें मुख्य रूप से राइस मिल ज्यादा है। 20 जुलाई 24 में जबलपुर में आयोजित हुई रीजनल कॉन्क्लेव के बाद और अधिक उद्योगों का रुझान बढऩे लगा है। विभागीय पोर्टल के अनुसार जिले में 610 नए उद्योग स्थापित हुए हंै। साथ ही इनके द्वारा 1198.40 लाख का निवेश किया गया है। इसमें 2840 रोजगार भी सृजित हुए हंै।
मप्र शासन द्वारा 20 जुलाई 2024 को जबलपुर में हुई रीजनल कॉन्क्लेव के बाद से उद्योगों में विस्तार होने लगा है। इसमें भी बालाघाट में राइस की अधिकता से राइस मिलर्स ज्यादा आकर्षित हो रहे हंै। 20 जुलाई के बाद जिले में 5 नई राइस मिल स्थापित हुई है। इन 5 मिलों से जिले में 31 करोड़ 2 लाख का निवेश हुआ है। साथ ही रोजगार भी सृजित हुए हंै।