यह हाइड्रोस्टेटिक वाटर लेवल सेंसर लगाया जा रहा है। एआइ तकनीक आधारित यह सेंसर कोच के वाटर टैंक में पानी कम होने या खत्म होने से पहले ही रेलवे को सूचना कर देगा। इससे रेलवे प्रबंधन समय रहते यात्रियों के लिए कोच में पानी की व्यवस्था कर देगा।
बीकानेर रेल मंडल में चलने वाली ट्रेनों में यह सुविधा उपलब्ध करानी शुरू कर दी गई है। श्रीगंगानगर-नांदेड़ ट्रेन से ऐसे सेंसर कोच में लगाने की शुरुआत की गई है। इस ट्रेन में पानी खत्म होने जैसी समस्याओं से निजात मिल गई है। अब अन्य ट्रेनों में भी यह सेंसर लगाए जाएंगे।
सेंसर के माध्यम से जलेगी लाइट
इस सेंसर सिस्टम को बाथरूम के पास लगाया गया है। इसमें टंकी में पानी कम होने पर सेंसर के सिग्नल से लाइट जलने लग जाती है। यदि टंकी पानी से पूरी भरी हुई है तो सबसे ऊपर वाली बत्ती जलेगी। यदि 75 फीसदी पानी है तो 75 लिखे होने के सामने वाली बत्ती जलेगी। इसी तरह 50 फीसदी पानी होने पर 50 के सामने वाली बत्ती तथा 25 फीसदी पानी होने पर 25 के सामने वाली बत्ती जलेगी। इससे पता चल जाएगा की ट्रेन की टंकी में कितना पानी है। कम पानी होने की स्थिति में इसमें उचित स्टेशन पर पानी भर दिया जाएगा।
प्रेशर के माध्यम से भेजेगा सिग्नल
यह सेंसर पानी के प्रेशर के माध्यम से लाइटों (बत्ती) को सिग्नल भेजता है। जिससे संबंधित लाइट की बत्ती जल जाती है और टैंक में पानी की वर्तमान स्थिति का पता चलता है। वर्तमान में ट्रेनों के कोच में डिब्बे के ऊपर और नीचे पानी के टैंक स्थापित हैं। नीचे स्थित पानी के टैंक में पानी ऊपर उठाने के लिए मोटर का उपयोग किया जाता है।