शबरी जयंती हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो माता शबरी की भक्ति और समर्पण को सम्मानित करता है। इसबार यह पर्व 20 फरवरी दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तजन माता शबरी और भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करते हैं। जिससे उन्हें आध्यात्मिक लाभ और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माता शबरी का जीवन और भक्ति
माता शबरी का जन्म एक भील समुदाय में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में महान तपस्या और भक्ति के माध्यम से भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त किया। उनकी कथा रामायण में वर्णित है, जहां उन्होंने अपने प्रेम और समर्पण से भगवान श्रीराम को अपने झोपड़ी में आमंत्रित किया और उन्हें बेर अर्पित किए। यह घटना यह दर्शाती है कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम और भक्ति को सर्वोपरि मानते हैं, न कि बाहरी आडंबरों को।
शबरी जयंती का महत्व
शबरी जयंती हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है, चाहे व्यक्ति की सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। माता शबरी की कथा यह संदेश देती है कि भगवान केवल प्रेम और भक्ति के भूखे हैं, और वे अपने भक्तों के सच्चे समर्पण को स्वीकार करते हैं।
शबरी जयंती शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार शबरी जयंती हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी मनाई जाती है। इस साल 2025 में इसकी शुरुआत 19 फरवरी बुधवार को सुबह के 07 बजकर 32 मिनट पर होगी। वहीं अगले दिन 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। लेकिन उदया तिथि के अनुसार 20 फरवरी दिन गुरुवार को शबरी जयंती का त्योहार मनाया जाएगा।
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान श्रीराम और माता शबरी की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। दीपक, धूप, अगरबत्ती, फूल, बेर, नारियल, और भोग तैयार रखें। दीप प्रज्वलित करें, धूप-अगरबत्ती जलाएं, और भगवान को फूल, बेर, और नैवेद्य अर्पित करें। माता शबरी की कथा का पाठ करें या सुनें, जिससे उनकी भक्ति और समर्पण की भावना को समझा जा सके। भगवान श्रीराम और माता शबरी के भजन गाएं और आरती करें। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, या धन का दान करना शुभ माना जाता है।
शबरी का समाज को संदेश
माता शबरी की कथा समाज में समानता, प्रेम, और भक्ति का संदेश देती है। उनका जीवन यह दर्शाता है कि भगवान के लिए सभी भक्त समान हैं, और वे केवल सच्चे प्रेम और समर्पण को महत्व देते हैं। इस पर्व के माध्यम से समाज में जाति, वर्ग, और अन्य भेदभावों को मिटाने का प्रयास किया जाता है, जिससे एक समरस और समतामूलक समाज की स्थापना हो सके। शबरी जयंती के अवसर पर हम सभी को माता शबरी की भक्ति और समर्पण से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में प्रेम, सेवा, और समानता के मूल्यों को अपनाना चाहिए। इससे न केवल हमारा आध्यात्मिक उत्थान होगा, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन आएगा।