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धौलपुर

कितने और मासूम चढ़ेंगे इन झोलाछाप डॉक्टरों की भेंट?

चिकित्सा पद्धति आज लोगों के लिए रुपए कमाने का जरिया बन कर रह गया है। यही कारण है कि शर से लेकर देहातों तक झोलाछाप डाक्टर और आर्टिफिशियल अस्पताल कुकरमुत्तों की तरह उग आए हैं। जिनकी भेंट हर साल मासूम लोग चढ़ते हैं, लेकिन इसके बाद भी इन स्वास्थ्य माफियाओं पर चिकित्सा विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता, बल्कि मूक बना हाथ पर हाथ धर बैठ मरीजों की जान के साथ हो रहे खिलवाड़ को निहारते रहता है।

धौलपुरFeb 07, 2025 / 07:08 pm

Naresh

कितने और मासूम चढ़ेंगे इन झोलाछाप डॉक्टरों की भेंट? How many more innocent people will fall prey to these quacks?
-चिकित्सा पद्धति को स्वास्थ्य माफियाओंं ने बनाया कमाई का जरिया, सज रही दुकानें

-बिना रजिस्ट्रेशन के चिकित्सक और चिकित्सालय संचालकों की आई बाढ़

-इनके गलत इलाज का परिणाम भुगत रहे मासूम भूमिक जैसे लोग
-पिछले दो सालों में आधा दर्जन से ज्यादा लोग बने इन झोलाछापों का शिकार

धौलपुर.चिकित्सा पद्धति आज लोगों के लिए रुपए कमाने का जरिया बन कर रह गया है। यही कारण है कि शर से लेकर देहातों तक झोलाछाप डाक्टर और आर्टिफिशियल अस्पताल कुकरमुत्तों की तरह उग आए हैं। जिनकी भेंट हर साल मासूम लोग चढ़ते हैं, लेकिन इसके बाद भी इन स्वास्थ्य माफियाओं पर चिकित्सा विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता, बल्कि मूक बना हाथ पर हाथ धर बैठ मरीजों की जान के साथ हो रहे खिलवाड़ को निहारते रहता है। देखा जाए तो स्वास्थ्य विभाग में केवल 30 निजी अस्पतालों का पंजीकृत ही है। और अगर गिनती करें तो शहर सहित जिले भर में निजी अस्पतालों का आंकड़ा 200 से 250 बैठेगा। तो वहीं झोलाछापों को तो रजिस्ट्रेशन से कोई मतलब ही नहीं है। वह तो एक दुकान किराए से ली और चालू कर देते हैं इंसान और इंसानियत से खिलवाड़ करना।
एक नहीं कई मामले आए सामने…..

इन झोलाछापों शिकार एक नहीं कई लोग अब तक हो चुके हैं। गत वर्ष बसई नबाव क्षेत्र में दो लोग इन झोलाछापों का शिकार बने, जिनमें एक की बुखार के दौरान गलत इलाज से तबियत बिगडऩे से मौत हो गई। परिजनों ने गलत इलाज करने का आरोप भी लगाया था। दिहौली थाना क्षेत्र के तोमर का पुरा गांव के एक व्यक्ति की झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से अपनी जान गंवा बैठा। तो वहीं सदर थाना क्षेत्र के ओदी गांव में एक निजी क्लीनिक में एक बच्चे ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत से नाराज परिजनों ने चिकित्सक के खिलाफ पुलिस में तहरीर भी दी। गत वर्ष ही मरीज पन्नालाल की भी एक निजी क्लीनिक में गलत इलाज के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। बाड़ी रोड पर एक निजी अस्पताल में गलत इलाज के दौरान तबीयत बिगडऩे से गर्भवती महिला प्रियंका त्यागी की मौत हो गई थी। उस दौरान प्रियंका ही नहीं बल्कि उसके पेट में पल रहे बच्चे को भी इन झोलाछापों का शिकार होना पड़ा। ताजा मामला अभी पांच दिन का ही जहां राजाखेड़ा में एक झोलाछाप डॉक्टर का शिकार 8 साल का मासूूम भाविक बन गया। जिसके बाद से झोलाछाप दुकान में ताला डाल भूमिगत है। यह तो कुछ ही उदाहरण है। ऐसे ना जानें कितने मामले सामने आ चुके हैं। जहां इन स्वास्थ्य माफियाओं का शिकार लोग हो रहे हैं। खास बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग की होने वाली बैठकों में जिला कलक्टर झोलाछाप व अवैध अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं। लेकिन कार्रवाई करने की फुरसत शायद इन जिम्मेदार अफसरों की पास है ही नहीं।
पंजीयन किसी का, पैथी दूसरी

जिले में कई डॉॅक्टर पैथी बदल कर इलाज कर रहे हैं। डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग में अपनी क्लीनिक का पंजीयन तो होम्योपैथी और आयुर्वेदिक क्लीनिक के रूप में करा रखा है। लेकिन इलाज एलोपैथी से कर रहे हैं। डॉक्टरों के पैथी बदल कर इलाज किए जाने से इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ता है। विशेष बात यह है कि कई अस्पतालों में चिकित्सक का कोई अता-पता नहीं होता। कुछ निजी अस्पतालों में बाहरी चिकित्सकों के प्रमाण पत्र लगा रखे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी पड़ रही भारी

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। आर्टिफिशियल अस्पताल शहर में सडक़किनारे जगह-जगह संचालित हो रहे हंै। जिनमें ना तो कोई डाक्टर होता है ना ही प्रशिक्षित स्टाफ, और तो और इन पर अस्पताल संचालन से लेकर अग्निशमन और प्रदूषण नियंत्रण का भी पंजीकरण नहीं होता। लेकिन इन अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग की कृपा भरपूर है। जिससे ये मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।
प्रशासन का खौफ नहीं

पैथी बदल कर इलाज करने वाले डॉक्टरों और झोलाछाप डॉक्टरों की इलाज की बजह से जिले में पिछले कुछ सालों में कई लोगों की जान जा चुकी है। कई बार तो घटनाओं के बाद ये लोग पुलिस के हत्थे भी नहीं आए। गोपनीय ढंग से काम करने वालों पर प्रशासन भी रोक नहीं लगा पाया है। डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई न होने से झोलाछाप डॉक्टरों में प्रशासन का खौफ नहीं है।
शहर सहित जिले भर में ऐसे चिकित्सक और हॉस्पीटलों पर कार्रवाई के लिए समिति का गठन किया गया है। जिसे लेकर जल्द ही बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित अस्पताल और चिकित्सकों पर कार्रवाई की जाएगी। राजाखेड़ा मामले में भी समिति गठित की गई है। जिसकी दायित्व डिप्टी सीएमएचओ को दिया गया है। गैरकानूनी कार्य करने वालों को किसी हालत में नहीं बख्शा जाएगा।
-धरम सिंह मीणा, सीएमएचओ

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