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धौलपुर

दोहरी रॉयल्टी के बोझ से पत्थर कारोबार हुआ प्रभावित

जिले की अर्थव्यवस्था में पत्थर उद्योग का प्रमुख स्थान है। लेकिन जिले में खनिज पत्थर एवं इससे संबंधित उद्योगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। क्योंकि यूरोपीय एवं गल्फ देशों में खनिज पत्थर का एक्सपोर्ट बंद होने के कारण कारोबारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिस कारण पत्थर इंडस्ट्री गर्त में पहुंचने के कगार पर है। जबकि सरकार प्रदेश के समृद्ध पत्थर उद्योग को विश्व पटल पर नई पहचान दिलाने की भरकस प्रयास कर रही हैं। परन्तु सरकार की कोशिश नाकामयाब दिखाई दे रही है।

धौलपुरFeb 20, 2025 / 06:32 pm

Naresh

दोहरी रॉयल्टी के बोझ से पत्थर कारोबार हुआ प्रभावित Stone business affected due to double royalty burden

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-जिले के 22 हजार लोग जुड़े कारोबार से

-पड़ोसी राज्य की गलत नीतियों से लोकल कारोबार पर असर

dholpur.जिले की अर्थव्यवस्था में पत्थर उद्योग का प्रमुख स्थान है। लेकिन जिले में खनिज पत्थर एवं इससे संबंधित उद्योगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। क्योंकि यूरोपीय एवं गल्फ देशों में खनिज पत्थर का एक्सपोर्ट बंद होने के कारण कारोबारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिस कारण पत्थर इंडस्ट्री गर्त में पहुंचने के कगार पर है। जबकि सरकार प्रदेश के समृद्ध पत्थर उद्योग को विश्व पटल पर नई पहचान दिलाने की भरकस प्रयास कर रही हैं। परन्तु सरकार की कोशिश नाकामयाब दिखाई दे रही है।
उद्यमी सतीश गर्ग, मुन्नालाल मंगल, योगेश शर्मा ने पत्थर उद्योग की बदहाली के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। पत्थर कारोबारियों ने सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए कहा कि राजस्थान सरकार ने रॉयल्टी वसूल करने के बाद उत्तरप्रदेश सरकार दोहरी रॉयल्टी वसूल कर रही है, जबकि सरकार की नीतियों के अनुसार खनिज पर सिर्फ एक बार ही रॉयल्टी वसूल की जा सकती है। उद्यमियों ने बताया कि धौलपुर का सैंडस्टोन प्रदेश में सबसे निम्न श्रेणी में आता है, जबकि सरकार खनिज पर मार्बल व ग्रेनाइट की तर्ज पर रॉयल्टी वसूल कर रही है। मार्बल, ग्रेनाइट की कीमत धौलपुर के पत्थर से पांच से छह गुना अधिक है। उन्होंने बताया कि पत्थर उद्योग से जिले में 20 हजार से अधिक लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं। पत्थर कारोबार को बढ़ावा नहीं मिलने के कारण कारोबार से जुड़े लोगों पर विपरीत असर पड़ रहा है। जिससे रोजगार का संकट पैदा हो गया हैं।
80 करोड़ का सालाना व्यापार महज 10 करोड़ तक सिमटा

धौलपुर जिले में अकेले अन्तरराष्ट्रीय मार्केट का असर इतना है कि 80 करोड़ का सालाना व्यापार महज 10 करोड़ तक सिमटकर रह गया है। व्यापार में गिरावट के लिए एक्सपोर्ट कारोबारी यूरोपीय देशों में युद्ध व समुद्री आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सबसे बड़ा असर यह है कि ट्रांसपोर्टेशन खर्च में इजाफा हो गया है, जबकि मार्केट में खनिज की कीमतों में कोई उछाल नही आया हैं।
पड़ोसी राज्य की तानाशाही से दोहरी रॉयल्टी की वसूली

पत्थर खनिज का कारोबार अकेले धौलपुर जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के जगनेर, तांतपुर तक फैला हुआ है। धौलपुर जिले में खनिज विभाग ने रॉयल्टी वसूल करने के बाद उत्तरप्रदेश शासन 150 रुपया टन रॉयल्टी वसूल की जा रही है, जबकि राजस्थान सरकार कारोबारी से पहले ही 269 रुपया टन की रॉयल्टी वसूल कर चुकी है। धौलपुर के पत्थर कारोबारी दोहरी रॉयल्टी की मार झेल रहे हैं जबकि उत्तरप्रदेश के कारोबारी सिर्फ एक बार ही रॉयल्टी चुका रहे हैं। राजस्थान के पत्थर की कीमत में इजाफा होने के कारण पत्थर उद्योग पर विपरीत असर पड़ रहा है।
10 साल से पत्थर की कीमत स्थिर, खर्चा तीन गुना बढ़े

सरकार को अकेले धौलपुर जिले में पत्थर कारोबार से 100 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति होती है, जबकि 10 साल से पत्थर की कीमत स्थिर बनी हुई हैं। खर्च की बात करें तो 10 साल में तीन गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है। डीजल, रॉयल्टी, बिजली सहित ट्रांसपोर्टेशन की कीमतों में बेहताशा वृद्धि होने के कारण कीमतें नहीं बढऩे से कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिसका असर यह है कि गैंगसा यूनिटें बंद होने के कगार पर पहुंच गई हैं।

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