Astrology of Holashtak : सनातन मान्यतानुसार होली के आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाते हैं। होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ होता है। इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। जिन्हें विवाह आदि शुभकार्य करने की जल्दी है, वे होलाष्टक लगने के पूर्व ही कर लेना चाह रहे हैं।
Astrology of Holashtak : फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक
होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक रहता है। अष्टमी तिथि से शुरू होने कारण भी इसे होलाष्टक कहा जाता है। आचार्य सौरभ दुबे के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि सात मार्च है। ऐसे में होलाष्टक इस दिन से लगेगा और 14 मार्च को समाप्त होगा। इसी दिन होली मनाई जाएगी।
Astrology of Holashtak
Astrology of Holashtak : कॉलोनियों में होलाष्टक की शुरुआत
परम्परा के अनुसार होलाष्टक आरम्भ होते ही दो खम्भों को स्थापित किया जाएगा। इसमें एक होलिका का प्रतीक होता है और दूसरा प्रह्लाद का। शहर के गली-मोहल्लों, कॉलोनियों में होलाष्टक की शुरुआत के साथ ही जगह-जगह अरंडी को पेड़ की डाल के रूप में होली के खम्ब गड़ाए जाएंगे। स्थानीय परंपरा है कि अरंडी के पेड़ के नीचे होलिका और प्रहृलाद की प्रतिमा रखकर होलिका दहन होता है।
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Astrology of Holashtak : माना जाता है दुख का समय
ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला ने बताया कि होलाष्टक के दिनों के दौरान राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए कठोर यातनाएं दी थीं। यहां तक कि आखिरी दिन उसे जलाकर मारने की कोशिश भी की थी। इसलिए होलाष्टक के दिनों को शोक का समय माना जाता है।
Astrology of Holashtak : होलाष्टक में क्या न करें
आचार्य दुबे के अनुसार होलाष्टक के आठ दिन किसी भी मांगलिक शुभ कार्य को करने के लिए शुभ नहीं होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। घर-गाड़ी, सोना नहीं खरीदते हैं और न ही नया काम-व्यापार शुरू करते हैं।
Hindi News / Jabalpur / Astrology of Holashtak : होलाष्टक पर आठ दिन नहीं होंगे गृहप्रवेश, सम्पत्ति क्रय जैसे शुभ कार्य