केवल दो स्थितियों में भंग का प्रावधान
नगर पालिका एक्ट के तहत केवल 2 ही स्थिति में बोर्ड भंग किया जा सकता है। यदि नगरपालिका अपने कर्तव्यों की पालना में विफल रहे या उसके सदस्यों की संख्या दो तिहाई से कम हो जाए। इसके लिए भी सरकार को पहले नोटिस देकर सुनवाई करनी होगी। इन 91 निकायों में फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है। गौरतलब है कि स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा कह चुके हैं कि सभी निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।राह आसान नहीं
पूर्व विधि परामर्शी और नगरपालिका एक्ट के जानकार अशोक सिंह का कहना है कि एक्ट की धारा 322 में कुछ स्थितियों में ही सरकार को बोर्ड भंग करने का अधिकार है। धारा 7 में नगर पलिकाओं का कार्यकाल पांच साल नियत किया गया है।जयपुर में सिटी बसों में असुरक्षित हैं बेटियां, घूरती रहती हैं गंदी नजरें, लापरवाह हैं जिम्मेदार
इन निकायों के बोर्ड को करना होगा भंग
1- नगर निगम : अजमेर व भीलवाड़ा। 2-नगर परिषद : किशनगढ़, केकड़ी, नागौर, कुचामनसिटी, शाहपुरा, सुजानगढ़, सरदारशहर, फतेहपुर शेखावाटी, बूंदी, झालावाड़, सलूम्बर, प्रतापगढ़, राजसमन्द, डूंगरपुर, सांचौर।PM Kisan Samman Nidhi Scheme : राजस्थान के 72 लाख किसानों की आज होगी बल्ले-बल्ले, बैंक खाते में आएंगे इतने रुपए
प्रदेश में नगरीय निकाय
13 नगर निगम।54 नगर परिषद।
238 नगर पालिका।
यहां नियुक्त हैं प्रशासक
5 नगर निगम (अलवर, भरतपुर, पाली, बीकानेर, उदयपुर)।18 नगर परिषद।
88 नगर पालिका।