Rajasthan News : फिल्मी स्टाइल में इंस्पेक्टर ने ट्रेनी IPS को सेंट्रल जेल में तलाशी से रोका, 20 मिनट में हो गया ‘खेल’
Jodhpur Central Jail: प्रशिक्षु आइपीएस हेमंत ने 30 जनवरी को हुई घटना के बारे में कलक्टर गौरव अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर राजेंद्र सिंह सहित अन्य अधिकारियों को बताया। हालांकि पुलिस ने मीडिया से यह बात छिपाए रखी।
वर्ष 2020 में आई रजनीकांत अभिनीत दरबार फिल्म में मुम्बई पुलिस कमिश्नर को जेल की तलाशी के दौरान गेट पर संतरी ने रोक दिया था। ऐसा ही कुछ राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में सामने आया। यहां प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी एसीपी हेमंत कलाल अपने साथ मजिस्ट्रेट, तहसीलदार की टीम लेकर 30 जनवरी को जेल की तलाशी लेने पहुंचे। उन्हें जेल इंस्पेक्टर ने यह कहते हुए रोक दिया कि अभी जेल अधीक्षक नहीं हैं।
पुलिस 20 मिनट तक इंतजार करती रही। इसके बाद अनुमति मिली, लेकिन तब तक जेल में रखा सामान खुर्दबुर्द करने की आशंका मानकर एसीपी हेमंत खुद ही वापस लौट आए। एसीपी हेमंत ने कुछ दिन रुककर 22 फरवरी को फिर दबिश दी। इस बार पुलिस सीधे जेल के अंदर घुसी तो एक बैरक की तलाशी में मटकी के अंदर छिपाकर रखे गए 2 मोबाइल फोन और कुछ केबल मिली। पुलिस ने अब जेल में संदिग्ध गतिविधियां होने का आरोप लगाया है।
पुलिस के साथ जेल प्रशासन की संयुक्त तलाशी पर उठे सवाल
अक्सर ऐसा होता है कि जब पुलिस जेल की तलाशी लेने पहुंचती है तो मीडिया को जारी किए जाने वाले बयान में पुलिस के साथ जेल प्रशासन की संयुक्त तलाशी बताई जाती है यानी जेल प्रशासन भी पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। आइपीएस हेमंत ने इस पर भी सवाल उठाया कि इसमें जेल का सहयोग कितना मिलता है, यह भी चर्चा का विषय है।
मिलीभगत की आशंका
एसीपी हेमंत का कहना है कि जेल के अंदर बहुत कुछ चल रहा है। बिना जेल प्रशासन की लिप्तता के ऐसा संभव नहीं है। पुलिस ने 2023 में जेलकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कर रखा है, हालांकि अभी उसमें गिरफ्तारी पर रोक है। दरअसल सीएम शर्मा को जेल से धमकी भरे फोन किए जाने के बाद से राजस्थान की जेलों में नियमित सर्च अभियान चलाया जा रहा है।
कलक्टर-कमिश्नर को दी रिपोर्ट
आइपीएस हेमंत ने 30 जनवरी को हुई घटना के बारे में कलक्टर गौरव अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर राजेंद्र सिंह सहित अन्य अधिकारियों को बताया। हालांकि पुलिस ने मीडिया से यह बात छिपाए रखी। 22 फरवरी को तलाशी में दो मोबाइल मिलने की खबर पर जरूर पुलिस ने प्रेस नोट जारी किया था।
जेल अधीक्षक ने नहीं उठाया फोन
इस मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल अधीक्षक प्रदीप लखावत को कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कोई रिप्लाई नहीं दिया।
तलाशी में कुछ नहीं मिला
जोधपुर सेंट्रल जेल की शनिवार को भी तलाशी ली गई। तीन घण्टे से अधिक समय तक तलाशी चली। तलाशी के दौरान उपखण्ड मजिस्ट्रेट प्रीतम कुमार, एसीपी हेमन्त कलाल के अलावा कारापाल हड़वन्त सिंह व रामचन्द्र कारापाल मौजूद रहे। तलाशी में जेल में खास कुछ नहीं मिला। वार्ड संख्या 06 के परिसर से पेड़ के अंदर खोखले भाग से एक पुरानी हीटर स्प्रिंग और वार्ड संख्या 10 की बैरक संख्या 02 से दो ईंटों से बनाया हुआ एक चौकोर ढांचा बरामद हुआ।
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20 मिनट में कुछ भी हो सकता है
मौके पर मौजूद जेल इंस्पेक्टर ने सहयोग नहीं किया। 20 मिनट खड़ा रखा। किसी भी सामान को छिपाने के लिए 20 मिनट पर्याप्त समय है। ऐसे में सर्च का औचित्य नहीं बचता, लिहाजा हम वहां से निकल गए। दूसरी बार मटकी के अंदर मटकी, उसमें दूध और फिर मटकी के नीचे कपड़े को सीमेंट से कवर कर मोबाइल छिपा रखे थे। जेल में यह संभव नहीं कि कैदी अपने आप ऐसा कर सके। इसमें जेल प्रशासन के कुछ लोग मिले होंगे।
हेमंत कलाल, एसीपी, जोधपुर कमिश्नरेट (पत्रकारों से बातचीत में बताया)