द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में, उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा, कांग्रेस पार्टी के भीतर अपनी स्थिति और भविष्य की योजनाओं पर खुलकर बात की। इस साक्षात्कार ने उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई अटकलों को जन्म दिया है, खासकर उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावनाओं और कांग्रेस के भीतर उनकी भूमिका को लेकर। थरूर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनकी पार्टी के भीतर और बाहर उनकी स्थिति को लेकर चर्चाएं तेज हैं।
बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को किया खारिज
शशि थरूर ने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ उनके वैचारिक मतभेद हैं, जिसके चलते ऐसा कोई कदम संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को मैं खारिज करता हूं, क्योंकि मेरे विचार उनकी विचारधारा से मेल नहीं खाते।” इसके साथ ही, उन्होंने कांग्रेस के भीतर चल रहे अंतर्कलह पर भी टिप्पणी की। थरूर ने स्वीकार किया कि उनकी अपनी पार्टी में कुछ लोग उनके खिलाफ हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा, “मेरी पार्टी में कुछ लोग मुझसे असहमत हैं, फिर भी मैं देश और केरल के भविष्य के लिए बोलता हूं।” उन्होंने अपनी निष्ठा को दोहराते हुए कहा कि वह कांग्रेस के प्रति वफादार हैं और अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी में बड़ी भूमिका निभाने को तैयार हैं। सोनिया गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे थरुर
अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कोई ठोस योजना नहीं बताई, लेकिन सार्वजनिक सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “मैं राजनीति में करियर के लिए नहीं आया था।” उन्होंने अपने संयुक्त राष्ट्र में लंबे करियर का जिक्र किया और बताया कि कैसे सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह जैसे कांग्रेस नेताओं के निमंत्रण पर वह चुनावी राजनीति में आए।
क्यों बन रही टकराव की स्थिति?
कांग्रेस के भीतर उनकी स्थिति को लेकर भी अटकलें तेज हैं। थरूर ने यह स्वीकार किया कि पार्टी में कुछ लोग उनके खिलाफ हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि उनकी महत्वाकांक्षा और स्वतंत्र विचारधारा पार्टी के पारंपरिक नेतृत्व के साथ टकरा रही है। उनकी यह टिप्पणी कि वह बड़ी भूमिका के लिए तैयार हैं, यह सुझाव देती है कि वह केरल में कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं, शायद 2026 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए। कुछ का मानना है कि वह मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर सकते हैं, लेकिन पार्टी के भीतर उनका विरोध इस राह को मुश्किल बना सकता है। इसके अलावा, उनके “विकल्प” होने का बयान रहस्यमयी है। क्या वह किसी अन्य राजनीतिक दल की ओर इशारा कर रहे हैं, जैसे सीपीआई(एम) या कोई क्षेत्रीय पार्टी, या फिर वह राजनीति से हटकर अपनी लेखन पर ध्यान देना चाहते हैं? उनकी यह अस्पष्टता अटकलों को और बढ़ाती है कि अगर कांग्रेस उनकी क्षमताओं का उपयोग नहीं करती, तो वह अपने लिए नया रास्ता तलाश सकते हैं। राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि उनकी लोकप्रियता और अंतरराष्ट्रीय छवि उन्हें एक स्वतंत्र राजनीतिक शक्ति बनाने में सक्षम बना सकती है।