वीआईपी मूवमेंट को सीमित करने की मांग
याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि सभी राज्यों को कुंभ मेला क्षेत्र में सुविधा केंद्र स्थापित करने की जिम्मेदारी दी जाए, ताकि गैर-हिंदी भाषी तीर्थयात्रियों को उचित सुविधा मिल सके। इसके अलावा, याचिका में मांग की गई है कि इन आयोजनों में वीआईपी मूवमेंट को सीमित किया जाए और अधिक से अधिक स्थान आम लोगों के लिए आरक्षित किया जाए।
देश की प्रमुख भाषाओं में डिस्प्ले बोर्ड लगाने की मांग
बड़े धार्मिक आयोजनों में भगदड़ से बचने और श्रद्धालुओं को सही जानकारी प्रदान करने के लिए याचिका में यह भी कहा गया है कि देश की प्रमुख भाषाओं में डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं और राज्यों द्वारा तीर्थयात्रियों को मोबाइल और व्हाट्सएप के जरिए आवश्यक जानकारी दी जाए। इसके साथ ही, याचिका में कुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में गैर-हिंदी भाषी लोगों के लिए मेडिकल हेल्प डेस्क स्थापित करने की भी मांग की गई है। भगदड़ हादसे के 5 बड़े कारण
होल्डिंग एरिया का सही इस्तेमाल नहीं हुआ: महाकुंभ क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 84 होल्डिंग एरिया बनाए गए थे, लेकिन इनका सही इस्तेमाल नहीं किया गया। मंगलवार रात को पुलिस ने श्रद्धालुओं को रात में ही संगम की ओर भेजना शुरू कर दिया, जिससे संगम पर भीड़ जमा हो गई।
वन-वे प्लान का फेल होना: संगम पर स्नान के लिए वन-वे प्लान बनाया गया था, लेकिन यह योजना विफल रही। अक्षयवट मार्ग पर कम लोग पहुंचे और संगम अपर मार्ग पर लगातार श्रद्धालुओं का आना-जाना बना रहा।
पांटून पुलों की कमी से भीड़ बढ़ी: मेले में 30 पांटून पुल बनाए गए थे, लेकिन 12-13 पुल हमेशा बंद रखे गए। इसके कारण श्रद्धालुओं को लंबा रास्ता तय करना पड़ा, जिससे थके हुए लोग संगम नोज पर बैठ गए और भीड़ बढ़ गई।
प्रशासन की मनमानी से बिगड़े हालात: महाकुंभ क्षेत्र में सड़कों को चौड़ा किया गया था, लेकिन इन सड़कों को अक्सर बंद रखा गया और मेन मार्ग पर बैरिकेडिंग की गई, जिससे श्रद्धालु थककर संगम किनारे बैठ गए और भीड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
सीआईएसएफ की कंपनी को सेक्टर 10 में ठहराना: सीआईएसएफ की कंपनी को सेक्टर 10 में ठहराया गया था, जिससे राहत और बचाव कार्य में देरी हुई। भगदड़ के बाद सेक्टर 10 से सेक्टर 3 तक पहुंचने में काफी समय लगने के कारण स्थिति और खराब हो गई।