Mahakumbh Stampede: महाकुंभ भगदड़ में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला के सोनवाहा से प्रयागराज आई एक महिला की मौत हो गई है। परिजनों ने पुलिस प्रशासन को इसका जिम्मेदार ठहराया है। उनका मानना है कि अगर पुलिस हमें नींद से उठाकर स्नान के लिए नहीं भेजती तो हम इस हादसे के शिकार नहीं होते। इसके साथ ही, परिजनों ने बताया कि हादसे के 1 घंटे बाद तक भी शव नहीं उठाए गए थे। आइए सुनते हैं परिजनों की आपबीती…
छतरपुर जिले के सोनवाहा से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति ने पत्रिका को बताया, “हम 10-15 लोग साथ आए थे और मेन रोड के पास सो रहे थे। पुलिस भी वहां मौजूद थी। करीब रात 10-11 बजे पुलिस ने हमें उठाया और कहा, ‘जाओ स्नान करके आओ।’ हम सब स्नान करने के लिए चल पड़े। हम भीड़ में शामिल हो गए। रास्ते का कोई अलग मार्ग नहीं था, सब एक ही रास्ते से जा रहे थे। जब भगदड़ हुई तो हम बिछड़ गए। इस भगदड़ में हमारी बहू दब गई और उसकी मौत हो गई है। कुछ जान बचाकर भागे तो नैनी पहुंच गए। जब हम दूर आए तब हमें हमारी भतीजी ने फोन लगाया कि पापा बाई (छोटे भाई की पत्नी) खत्म हो गई। हमें मिली ही नहीं। साथ में एक बच्ची दीप भी घायल हो गई।”
‘1 घंटे तक नहीं उठाए गए शव’
दूसरे चश्मदीद ने पत्रिका के माइक पर बताया, “जहां भगदड़ मची थी, वहां पुलिस का कोई अता-पता नहीं था। शव एक घंटे तक वहीं पड़े रहे। जब हम पहुंचे, उसके बाद पुलिस और एंबुलेंस मौके पर पहुंची और शव उठाए गए।”
महिला चश्मदीद ने आंसुओं के साथ बताया, “पुलिस वालों ने हमें 11 बजे जगाया, और उनकी वजह से ही हम सब यह भुगत रहे हैं। मेरी सगी देवरानी की हादसे में मौत हो गई। सुबह 2 बजे हम लोग संगम पर पहुंचे थे। भगदड़ में मेरी दूसरी देवरानी मुझसे बिछड़ गई, जो अभी भी लापता है। हम उन्हें ढूंढते रहे, पर वो कहीं नहीं मिलीं।”