ब्रह्म मुहूर्त में डुबकी का इंतजार
सेक्टर 1 से 4 एवं 7, 8, 9 त्रिवेणी संगम के पुल से उधर है और 5 के बाद का शेष इलाका दूसरी ओर। प्रयागराज में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान करने आए 90 प्रतिशत लोग सेक्टर 5 से 25 में ठहरे हुए है और 10 शेष इन्हीं सेक्टर में। साधु-संतों के अधिकांश अखाड़े और अन्नक्षेत्र भी 5 से 25 सेक्टर में हैं। रात को 12 बजे बाद साधु संत इस तैयारी में थे कि 4 बजे से स्नान को जाएंगे। भक्तों ने रात को ही शाही स्नान के रथों और अन्य तैयारियों को प्रबंध कर लिया था। वहीं जो अपने भरोसे आए थे वे लाखों लोग जहां भी जमीन मिली वहां सो गए थे। बस, मौनी अमावस्या की साधु-संतों की स्नान को देखने और इसके बाद अमृत स्नान थी।
3 बजे उठते ही बुरी खबर
साधु संत, विशेषकर नागा बाबा को देखने के लिए रात आंखों में निकाल रहे लोगों ने मुश्किल से एक झपकी ली थी कि खबर लगी भगदड़ का हादसा हो गया। संतों स्नान निरस्त हो गई। लोगों के चेहरे उदास हो गए। सब इधर-उधर यह जानने में लगे कि कहां तक हादसा हुआ और कितना बड़ा।
संगम की बजाय गंगा घाटों पर अमृत स्नान
त्रिवेणी संगम पर स्नान नहीं होने की स्थिति पता चल गई। 5 से 25 सेक्टर से लगते हुए गंगा के घाट है। अधिकांश लोगों ने संगम की बजाय गंगा के घाट पर ही मौनी अमावस्या पर गंगा के घाट पर ही स्नान किया।
रास्ते बंद, लोग जहां थे वहां फंसे
बुधवार को जिनकी सुबह की ट्रेनें थी वे जल्दी उठकर पुल पारकर उधर जाने को पहुंचे तो 12,15,16 तीनों ही उधर जाने को बंद कर दिए गए थे। लोगों को कहा गया कि 18 पुल से जाएं। करीब पांच किमी दूरी तय करने के बाद अव्वल तो यह पुल आता है और उसके बाद भी घूमकर जाने में 15 से 20 किमी लग जाए। ऐसे में जिनको अतिआवश्यक था वे चल पड़े… यह बात दीगर है कि 18 खुला था या नहीं यह पता नहीं। जो लोग इन पुल के चक्कर में दोपहर बारह-एक बजे तक चल चुके थे, वे थककर चूर होकर जहां जगह मिली फिर बैठ गए। ये लोग अपने लोगों से यही कह रहे थे, इंतजार कर रहे हैं… जब पुल खुलेंगे तब आएंगे। बड़े तरीके से भीड़ को बिखेरा
संगम के इस तरफ की भीड़ को भगदड़ को लेकर भय होने की स्थिति कहीं पर भी क्रिएट नहीं होने दी। पुलिस-प्रशासन ने इसको लेकर न तो कोई मुनादी कर रही थी और न ही कोई अलर्ट। लोगों को उधर जाने से रोकने के लिए उन्हें बड़े क्षेत्र सेक्टर 18 की ओर मूव कर दिया गया। जहां से वाराणसी, झूसी क्षेत्र के लोगों को बसें पकड़वाई जा रही थी।