प्रशासन के कदम साबित हो रहे नाकाफी
2024 में हालात और बिगड़ गए। सडक़ हादसों के कुल 2079 मामले सामने आए, जिनमें 594 लोगों की मौत हुई और 1495 लोग घायल हुए। यह आंकड़ा इस बात को साबित करता है कि हादसों में न सिर्फ इजाफा हुआ है, बल्कि मृतकों की संख्या भी कई गुना बढ़ी है। प्रशासन ने सडक़ हादसों पर काबू पाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन ये कदम प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं। नाकाफी लग रहे हैं।
2025 में स्थिति और बिगड़ी
2025 के पहले दो महीने यानी जनवरी और फरवरी में 331 हादसे हुए जिनमें 221 लोग घायल हुए और 110 लोगों की मौत हो गई। इस आंकड़े से साफ लग रहा है कि वर्ष 2025 में सडक़ हादसों की गति और भी तेज हो गई है और यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।हालात की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 6 मार्च तक सडक़ हादसों में 8 लोगों की जान जा चुकी है। अगर यह गति इसी तरह जारी रही, तो साल 2025 में हादसों के आंकड़े और भी बढ़ सकते हैं, जिससे न सिर्फ रायपुर की सडक़ सुरक्षा पर सवाल उठेंगे, बल्कि लोगों की जान भी दांव पर लगेगी।
लापरवाही, यातायात नियमों के उल्लंघन से बढ़ रहे हादसे
बढ़ते हादसे संकेत दे रहे हैं कि प्रशासन को अब सडक़ सुरक्षा के उपायों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। वाहन चालकों की लापरवाही, सडक़ के खराब हालात और यातायात नियमों के उल्लंघन से हादसों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन खामियों का पता लगाकर आवश्यक कदम उठाएगा? क्या सडक़ सुरक्षा को लेकर प्रशासन सख्त कदम उठाएगा या यह स्थिति और भी बदतर होती जाएगी?