मामला क्या था?
13 नवम्बर 2018 को मृतका मीरा बाई के पुत्र किशन कुमावत ने कांकरोली पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उसमें उन्होंने बताया कि उनकी मां मजदूरी करने के लिए मुखर्जी चौराहा गई थीं, लेकिन वह रात तक घर वापस नहीं आईं। जब कई घंटों तक वह नहीं लौटीं, तो परिवार ने पुलिस से मदद मांगी। इसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सीसीटीवी फुटेज और अन्य सुरागों से आरोपी को गिरफ्तार किया और मामले की जांच पूरी की।
वकील की दलील
लोक अभियोजक रामलाल जाट ने मामले के साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर अभियुक्त के खिलाफ सजा की मांग की। अभियोजन पक्ष ने 25 गवाहों के बयान, 87 दस्तावेज़ और 18 सबूत प्रस्तुत किए, जिससे आरोपी के अपराध साबित हो गए।
न्यायालय का निर्णय
न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अभियुक्त के खिलाफ हत्या के अपराध को प्रमाणित किया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अतिरिक्त, अभियुक्त को धारा 364 (अपहरण), धारा 397 (घातक हथियार से हमला), और धारा 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत 7-7 साल की सजा भी दी गई।