दरअसल फरवरी माह की शुरूआत में रेलवे स्टेशन पर नवजात के साथ गंभीर हालत में मिली गुना निवासी महिला कमला (परिवर्तित नाम) को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। 17 फरवरी को इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई। इसके बाद मृतिका के 5 साल के बेटे को तो बालाश्रम भेज दिया, लेकिन किसी ने नवजात पर ध्यान नहीं दिया। मामला सामने आने के बाद बाल आयोग व बाल कल्याण समिति ने जांच-पड़ताल की और मासूम का रेस्क्यू करने के लिए एसपी को पत्राचार किया था।
डॉक्टर की भूमिका संदिग्ध
बाल आयोग व बाल कल्याण समिति इसे धर्मांतरण का मामला बता रहे हैं। अस्पताल शनिचरी निवासी हिना पत्नी अब्दुल रसीद नाम की महिला ने मदद के नाम पर मृतिका की नवजात बेटी को एनआरसी में भर्ती कराया और वहां उसका नाम बदलकर फातिमा कर खुद ही बच्ची के माता-पिता भी बन गए। इस मामले में जिला अस्पताल के एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) में पदस्थ डॉ. नईम की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। जांच-पड़ताल में अस्पताल के दस्तावेजों से पता चला कि बच्ची को डॉ. नईम ने ही भर्ती कराया था।
कार्रवाई होनी चाहिए
हिंदू जागरण मंच के डॉ. उमेश सराफ ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर ने बच्ची को दूसरे परिवार को दे दिया, जिसने बच्ची का नाम व धर्म बदलकर भर्ती कराया। ड्यूटी डॉक्टर को अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देनी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया। पूरे मामले में डॉक्टर की गलती है। मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए। कार्रवाई नहीं होने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।