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उदयपुर

ग्राइंडिंग मिल संचालकों को उम्मीद, बजट में संजीवनी दे सरकार

बंद होते उद्योगों को बचाने के लिए उप मुख्यमंत्री से मिले उद्यमी, राहत की आस

उदयपुरFeb 18, 2025 / 12:22 am

अभिषेक श्रीवास्तव

उदयपुर. राज्य के आगामी बजट की तरफ प्रदेश के मिनरल उद्योग संचालक उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। बंद होती पत्थर ग्राइंडिंग मिलों को संजीवनी मिले इसके लिए हाल ही में मिल संचालकों ने उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी से मिलकर हालात से अवगत कराया है। उन्होंने इसके लिए प्रदेश के व्यवसायियों के अनुकूल नीति बनाने की आवश्यकता जताई।
राज्य के बाहर खनिज निर्गमन की दरों में अंतर नहीं होने से उद्योगों पर आए संकट को दूर करने की मांग उन्होंने सरकार से की है। राजस्थान पत्रिका के Òअपना खनिज- अपना उद्योगÓ अभियान के तहत प्रदेश में बंद होती बॉल मिलों (खनिज ग्राइंडिंग इकाइयों) को बचाने के लिए उद्यमी लगातार जनप्रतिनिधियों को हालात बता रहे हैं। लघु उद्योग भारती की ओर से यह मुद्दा सरकार के समक्ष रखा गया है। उप मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर बताया गया है कि प्रदेश से अन्य राज्यों में अप्रधान खनिज निर्गमन पर रॉयल्टी का दोहरीकरण किया जाता है तो सरकार को इससे दोहरा फायदा हो सकता है। एक ओर राज्य में दम तोड़ते खनिज ग्राइंडिंग उद्योगों (बॉल मिल्स) को संजीवनी मिलेगी, वहीं दूसरी ओर नई ग्राइंडिंग मिलों की स्थापना से औद्योगिक निवेश आने की संभावना हैं।

फेल्सपार एवं क्वार्टज प्रदेश की ताकत

देशभर में राजस्थान एवं आंध्रप्रदेश ही ऐसे राज्य हैं, जहां सोडा फेल्सपार एवं क्वार्ट्ज की सर्वाधिक खदानें हैं। राजस्थान की इन खदानों से जाने वाले कच्चे माल के दम पर गुजरात का मोरबी शहर दुनिया में सेरेमिक टाइल्स उत्पादन की दूसरी सबसे बड़ी मंडी बन गया है। जबकि खनिजाें का सर्वाधिक भंडार होने के बावजूद राजस्थान में उद्योग नहीं पनप पा रहे हैं। प्रदेश में न के बराबर सेरेमिक टाइल उद्योग हैं। सोडा फेल्सपार एवं क्वार्ट्ज की ग्राइंडिंग के लिए अरावली पर्वत श्रंखला के आस-पास के जिलों में बॉल मिलों की स्थापना हुई, लेकिन पिछले करीब एक वर्ष से यही कार्य गुजरात में शुरू होने के कारण राजस्थान की मिलें बंद होना शुरू हो गई। अन्य राज्यों में खनिज निर्गमन शुल्क भी राजस्थान के बराबर ही होने से प्रतिस्पर्धा में प्रदेश के उद्यमी पिछड़ने लग गए। बॉल मिल उद्यमियों का कहना है कि यदि सरकार बजट में अन्य राज्यों के लिए अप्रधान खनिजों की रॉयल्टी बढ़ाती है तो एक ओर जहां सरकार का राजस्व बढ़ेगा, वहीं निर्गमन नियंत्रित होने से मौजूदा बॉल मिलों को भी संजीवनी मिलेगी। यदि रॉयल्टी दर मौजूदा से छह गुना की जाती है तो प्रदेश में और ग्राइंडिंग मिल्स के रूप में निवेश आने की संभावना है।

इनका कहना ….

सरकार प्रदेश में निवेश लाना चाहती है तो प्रदेश के खनिज आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करना होगा। पिछले कुछ सालों में राजस्थान में पत्थर का ग्राइंडिंग उद्योग पनपने लगा था। लेकिन समान निर्गमन शुल्क के चलते अब यह व्यवसाय समाप्त होने की तरफ बढ़ रहा है। हमारी सरकार से मांग है कि अन्य राज्यों के लिए रॉयल्टी की दर को बढ़ाए, ताकि हमारा करोड़ों का निवेश बच सके। अन्यथा प्रदेशभर में सैंकड़ों परिवारों को रोजगार समाप्त हो जाएगा।
– अर्जुन सिंह, खनिज व्यवसायी

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