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उदयपुर

वृद्धाश्रम हमारे राष्ट्र की परंपरा नहीं बल्कि पश्चिम की देन

हमारे देश में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास आश्रम की परंपरा है, वृद्धाश्रम की नहीं। वृद्धाश्रम पश्चिम की देन है, जहां पर वरिष्ठ नागरिकों को बोझ समझा जाता है। ये विचार राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने शनिवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक महासंघ के 22वें राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि रखे।

उदयपुरFeb 23, 2025 / 01:55 am

surendra rao

स्मारिका का विमोचन करते राज्यपाल व अन्य अति​थि।

उदयपुर. हमारे देश में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास आश्रम की परंपरा है, वृद्धाश्रम की नहीं। वृद्धाश्रम पश्चिम की देन है, जहां पर वरिष्ठ नागरिकों को बोझ समझा जाता है। ये विचार राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने शनिवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक महासंघ के 22वें राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि रखे। कहा कि हमारे देश में आए आक्रमणकारियों ने हमारी परंपराओं को भुलाने का काम किया है। मैकाले की शिक्षा पद्धति को वर्तमान दौर में निरर्थक बताते हुए कहा कि यह शिक्षा पद्धति हमारी धर्म संस्कृति और परंपरा के अनुसार नहीं है। इसने कई गुरुकुलों को खत्म कर दिया। एक समय था जब हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था। जितने स्कूल और गुरुकुल प्राचीन काल में हमारे देश में थे, उतने उस दौर में ब्रिटेन में भी नहीं थे। आक्रमणकारियों को यह पता था कि भारत को गुलाम बनाना इतना आसान नहीं है। तब उन्होंने तय किया कि अगर भारत को गुलाम बनाना है तो यहां की शिक्षा पद्धति को बदलना होगा। इससे पहले उन्होंने मेवाड़ की शौर्य और वीरता की धरती को नमन करते हुए महाराणा प्रताप को वंदन किया। राज्यपाल ने वरिष्ठ नागरिकों का आह्वान किया कि वे अपने शरीर एवं स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें।
स्वागत उद्बोधन देते हुए भंवर सेठ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक राष्ट्र की धरोहर है। वर्तमान में जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसी बनाई है, उसमें सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने रेलवे यात्रा में भी छूट, आयुष्मान योजना का लाभ 60 साल की उम्र से ही लागू करने, जगह-जगह मोहल्ला क्लिनिक खोलने आदि की मांग की। डॉ. शिल्पा सेठ ने कहा कि जो भी वरिष्ठजनों के लिए सरकारी योजनाएं हैं वह ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचनी चाहिए।जनार्दनराय नागर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि कब क्या करना है यह बताना बुद्धिमान का काम है, लेकिन कैसे करना है यह अनुभवी ही बता सकता है। आज हम बुजुर्गों से सलाह लेना भूल गए हैं। बुजुर्गों में जीवन का अनुभव होता है और उनके अनुभव से ही देश समाज और युवा आगे बढ़ सकते हैं।परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.के भाडने ने ध्वजारोहण किया। इसके बाद कार्यकारिणी की शपथ हुई। सम्मेेलन के अतिथियों में परिसंघ उपाध्यक्ष अन्ना साहब टकले, संस्थान अध्यक्ष चौसरलाल कच्छारा ने भी संबोधित किया।कार्यक्रम के मध्य में अनुभूति स्मारिका का विमोचन अतिथियों ने किया। वहीं सम्मान समारोह हुआ।अधिवेशन के दूसरे तकनीकी सत्र में डॉक्टर्स की टीम ने आपसी परिचर्चा कर वरिष्ठ नागरिकों की उम्र के साथ होने वाली बीमारियों का नवीनतम पद्धति से उपचार के बारे में बताया। मॉडरेटर वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डाॅ. अमित खंडेलवाल थे। डाॅ. गौरव छाबड़ा, डाॅ. रमेश पुरोहित, डाॅ. अंकुर सेठिया, डाॅ. कल्पेश चौधरी, डाॅ. सुमित वार्ष्णेय, डॉ. कल्पेश चंद राजबर ने भी विचार रखे।

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