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बांग्लादेश की यूनुस सरकार को हिलाने आ रहा इन छात्र नेताओं का नया सियासी दल, शेख हसीना का कर डाला था तख्तापलट

Bangladesh new Party: इस पार्टी के प्रमुखों में अहम तौर पर 2 नाम सामने आ रहे हैं, सरजिस आलम और नाहिद इस्लाम। ये दोनों ही बांग्लादेश में 2024 को हुए छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरा थे।

भारतFeb 25, 2025 / 05:46 pm

Jyoti Sharma

Bangladesh new Political Party of Student Union challenge Muhammad Yunus Sheikh Hasina Coup

Muhammad Yunus, Sarjis Alam (left) And Nahid Islam ( in Center)

Bangladesh: बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के बाद तख्तापलट हो गया था। शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा था। ये तख्तापलट जिस छात्र आंदोलन की वजह से हुआ था, उसके छात्र नेता (Student Movement in Bangladesh) अब अपनी नई राजनीतिक पार्टी को लॉन्च करने जा रहे हैं। आने वाले शुक्रवार, 28 फरवरी को ये पार्टी आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश की राजनीति में एंट्री लेगी। कहा जा रहा है कि छात्र आंदोलन का जिस छात्रनेता नाहिद इस्लाम (Nahid Islam) ने नेतृत्व किया था वो मोहम्मद यूनुस सरकार से बेहद नाराज़ हैं और सरकार में मिले अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। वे अब इस पार्टी के संयोजक का पद संभाल सकते हैं। 

JNC और ADSM मिलकर कर रहे नई पार्टी का गठन

बांग्लादेश के मीडिया आउटलेट ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक ये पार्टी जातीय नागरिक समिति (JNC) और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन (ADSM) के नेता गठित कर रहे हैं। JNC के प्रमुख आयोजक सरजिस आलम (Sarjis Alam) ने कहा है कि इस पार्टी का गठन इसलिए हो रहा है ताकि जुलाई 2024 में हुए छात्र आंदोलन की लड़ाई जारी रखी जा सकते हैं। 
इस नई पार्टी के नाम का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी के लिए जुलाई क्रांति से जुड़े कई नाम सुझाए गए हैं। इसमें जनता दल, नोटुन बांग्लादेश पार्टी, बिप्लबी कैल, नागरिक शक्ति, छात्र जनता पार्टी, बांग्लादेश बिप्लबी पार्टी, रिपब्लिक पार्टी और जातीय शक्ति जैसे नाम शामिल हैं। 

कौन हैं छात्र संगठन से निकले ये छात्र नेता 

इस पार्टी के प्रमुखों में अहम तौर पर 2 नाम सामने आ रहे हैं, सरजिस आलम और नाहिद इस्लाम। सरजिस आलम बांग्लादेश के छात्र आंदोलन का भी प्रमुख नाम रहे हैं। सरजिस आलम भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के समन्वयक हैं। सरजिस आलम ने लगभग एक महीने पहले शहीद स्मृति फाउंडेशन में महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान JNC के साथ गठबंधन कर नई पार्टी बनाने पर दिया। 
जुलाई 2024 में बांग्लादेश में जो छात्र आंदोलन हुआ उसमें मुख्य भूमिका सरजिस आलम की ADSM पार्टी की भी थी। इस पार्टी ने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में शामिल 1971 के शहीद हुए क्रांतिकारियों के परिवारी जनों को नौकरी में आरक्षण का विरोध किया था। 

कौन हैं नाहिद इस्लाम?

नाहिद को बांग्लादेश में मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर भी जाना जाता है। नाहिद इस्लाम इसी ADSM पार्टी के अध्यक्ष हैं। वे इस समय बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में ICT के सलाहकार हैं। 2024 में हुए छात्र आंदोलन में वे भेदभाव विरोधी आंदोलन (स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन) के समन्वयक थे। नाहिद इस्लाम के नेतृत्व में ये देशव्यापी आंदोलन हुआ था। नाहिद के इस आंदोलन की वजह से ही शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। नौकरी में आरक्षण मामले में जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तब फिर से नाहिद के कहने पर भी ये आंदोलन भड़का था और हिंसक हो गया था। 
इतना ही नहीं शेख हसीना (Sheikh Hasina) के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के 24 घंटे बाद नाहिद ने ही बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन की अपील की थी। अब नाहिद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में सलाहकार परिषद में कार्यरत हैं। लेकिन 25 फरवरी को उन्होंने इस पद को छोड़ दिया है। उन्होंने मोहम्मद युनूस (Muhammad Yunus) को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। अब वे नई पार्टी के संयोजक का पद संभालने वाले हैं। 

अब मोहम्मद यूनुस सरकार को खतरा?

आरक्षण (Reservation Issue in Bangladesh) वाले मुद्दे को लेकर छात्रों और छात्र संगठन में अभी भी नाराजगी है। शेख हसीना को पद से हटाने के बाद भी इस मुद्दे का हल अभी तक नहीं निकला है। इसलिए आए दिन इसे लेकर यूनुस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहते हैं। इतना ही नहीं इन छात्र नेताओं ने शेख हसीना की ही तरह यूनुस (Muhammad Yunus) का भी तख्तापलट करने की धमकी तक दी है।

आखिर क्या है नौकरी में आरक्षण का मामला? 

दरअसल बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम में शामिल हुए क्रांतिकारियों के परिवारीजनों और रिश्तेदारों के लिए नौकरी में 30 प्रतिशत के आरक्षण का विधान किया गया था। शेख हसीना सरकार के दौरान इस 30 प्रतिशत कोटा को खत्म करने के लिए ही छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था। 2018 में बांग्लादेश की सरकार ने कुल 56 प्रतिशत आरक्षण को ही खत्म कर दिया था लेकि 5 जून 2024 में हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को गलत करार दिया जिससे ये प्रणाली फिर से सिस्टम में वापस आ गई।
इसी फैसले के खिलाफ जून-जुलाई में बांग्लादेश में छात्र आंदोलन शुरू हुआ। आंदोलन को देखते हुए शेख हसीना सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर कोर्ट ने इस कोटा को 30 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया था। लेकिन ये छात्र इस कोटा को पूरा खत्म करने की मांग उठा रहे हैं। 

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